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दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर, सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) एक बार फिर जहरीली हवा की गिरफ्त में है। बुधवार की वायु गुणवत्ता पिछले दिनों की तुलना में और भी भयावह हो गई है

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर, सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई
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दिल्ली-एनसीआर गैस चैंबर में तब्दील, एक्यूआई 450 के पार

  • नोएडा और गाजियाबाद में हवा बेहद खराब, अस्पतालों में बढ़ी भीड़
  • सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण पर सुनवाई, त्वरित कदम उठाने की मांग
  • ग्रेटर कैलाश-II वेलफेयर एसोसिएशन ने दाखिल की याचिका
  • विशेषज्ञों ने दी चेतावनी, मास्क और सावधानियां ही बचाव का रास्ता
  • बच्चों और बुजुर्गों पर जहरीली हवा का सबसे ज्यादा असर

नोएडा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) एक बार फिर जहरीली हवा की गिरफ्त में है। बुधवार की वायु गुणवत्ता पिछले दिनों की तुलना में और भी भयावह हो गई है। सुप्रीम कोर्ट आज उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में खतरनाक वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तुरंत कदम उठाने की मांग की गई है। इस मुद्दे पर दायर याचिका ग्रेटर कैलाश-II वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दाखिल की गई है, जिसमें दिल्ली में खतरनाक वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तत्काल और वैज्ञानिक उपायों की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि प्रदूषण से बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और पहले से बीमार लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं।

दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के अनेक इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 से 430 के खतरनाक स्तर को पार करते हुए 450 के आसपास पहुंच गया है, जिससे पूरा इलाका एक 'गैस चैंबर' में तब्दील हो गया लगता है। इस भीषण प्रदूषण का सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है और सांस, त्वचा समेत अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या अस्पतालों में तेजी से बढ़ रही है।

वायु प्रदूषण से जुड़े आंकड़े चौंकाने वाले हैं। दिल्ली में, आनंद विहार (402), चांदनी चौक (430), विवेक विहार (410) और वजीरपुर (402) जैसे इलाके 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच चुके हैं। आरके पुरम और रोहिणी में भी एक्यूआई 418 दर्ज किया गया है।

नोएडा की स्थिति इससे बेहतर नहीं है, जहां सेक्टर-116 (406), सेक्टर-125 (405) और सेक्टर-1 (397) में हवा की गुणवत्ता 'बेहद खराब' से 'गंभीर' स्तर पर है। गाजियाबाद में भी इंदिरापुरम में 410, लोनी में 428 एक्यूआई बना हुआ है। इस भीषण प्रदूषण का स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्तर की खराब वायु गुणवत्ता पर लंबे समय तक रहने से सांस की बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। अस्पतालों के आपातकालीन विभागों और श्वास रोग विशेषज्ञों के क्लीनिकों में मरीजों की संख्या में अचानक वृद्धि देखी जा रही है। न केवल अस्थमा और सीओपीडी जैसी पुरानी बीमारियों के मरीजों में समस्या बढ़ रही है, बल्कि स्वस्थ लोग भी आंखों में जलन, गले में खराश, लगातार खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसी शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं।

बच्चों और बुजुर्गों को इस स्थिति में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है। इस संकट के पीछे मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियां, जैसे कम हवा की गति और ठंड का बढ़ना, प्रमुख कारण माने जा रहे हैं, जो प्रदूषकों को फैलने से रोक रही हैं। हालांकि, वाहनों और उद्योगों से निकलने वाला धुआं, निर्माण गतिविधियां, और पराली जलाने जैसे स्थानीय स्रोत भी इस समस्या में इजाफा कर रहे हैं।

इस गंभीर स्थिति में स्वास्थ्य विशेषज्ञ लोगों से घर के अंदर रहने, बाहर निकलते समय मास्क पहनने, खूब पानी पीने और व्यायाम जैसी शारीरिक गतिविधियां बाहर करने से बचने की सलाह दे रहे हैं। स्कूलों में बच्चों की बाहरी गतिविधियों पर भी रोक लगाई जा सकती है।


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