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जनजाति समाज के लोग खुद को मुख्यधारा से अलग नहीं समझते : किरेन रिजिजू

दिल्‍ली में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज उपस्थित हुए

जनजाति समाज के लोग खुद को मुख्यधारा से अलग नहीं समझते : किरेन रिजिजू
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जनजाति समाज ही है मुख्यधारा: किरेन रिजिजू का भावपूर्ण संदेश

  • बिरसा मुंडा भवन उद्घाटन पर जनजातीय अस्मिता और विकास की हुंकार
  • दिल्ली में वनवासी कल्याण आश्रम कार्यक्रम, जनजातीय उत्थान पर केंद्रित संवाद
  • जनजातीय संस्कृति की रक्षा और विकास पर सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई गई

नई दिल्‍ली। दिल्‍ली में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज उपस्थित हुए।

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मैं भाग्यशाली मानता हूं कि भगवान बिरसा मुंडा के नामांकित भवन के उद्घाटन में शामिल होने का अवसर मिला। दिल्ली देश की राजधानी है पर यहां इतने सालों में जनजाति समाज के किसी नेता के नाम पर बहुत कम भवन हैं। समय के साथ-साथ चिंतन बदला है। भाजपा सरकार ने इस माहौल को बदला है। आज जनजाति समाज के लोग अपने आप को मुख्यधारा से अलग नहीं समझते हैं, क्योंकि हम ही मुख्यधारा हैं। देश सीमावर्ती इलाकों से शुरू होता है। हम जहां से आते हैं, देश वहीं से शुरू होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद जनजाति समाज आज प्रसन्न है, उनके उन्नति के लिए हजारों काम किए गए हैं। आज इस समाज के युवा देश के लिए काम करते हैं।

उन्‍होंने आगे कहा कि कुछ लोग सोशल मीडिया में विचित्र माहौल बना देते हैं और एक नैरेटिव खड़ा कर देते हैं। सरकार देश में संविधान के तहत समान नागरिक संहिता के बारे में सोचती है। हमने स्‍पष्‍ट तौर पर बताया है कि आदिवासी क्षेत्रों में यह लागू नहीं होगा। आदिवासियों को अपने तरीके से जीने की आजादी रहेगी, लेकिन आदिवासियों को आंदोलित कर सरकार के विरोध में माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है, इसको बंद कराना जरूरी है। मोदी सरकार ने आदिवासियों के लिए जो किया, आजादी से पहले और बाद में किसी ने ऐसी कल्‍पना नहीं की होगी।

केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि देश में भगवान बिरसा मुंडा के नेतृत्व में धर्मांतरण के विरुद्ध सबसे पहले आंदोलन चला था। उस समय जनजाति वर्ग के अस्तित्‍व को बचाने के लिए उन्होंने लड़ाई लड़ी थी, जिसका परिणाम आज हमें मिल रहा है। उन्होंने अपनी जाति की गरिमा को बचाने के लिए बलिदान दिए। ब्रिटिश सरकार के समय आदिवासी समाज के लोगों को क्रिमिनल बताकर एक्ट लागू किया गया था। भाजपा सरकार ने इस एक्‍ट को खत्‍म करने का काम किया।

आध्यात्मिक नेता महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने देश में मिशनरीज को बढ़ाया और जनजाति संस्कृति को खत्म कर दिया था, जिसको बचाने का काम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कर रहा है। भारत का दुर्भाग्‍य रहा कि पिछली सरकार आतंक और अलगाववाद को पोषण देती रही। नॉर्थ ईस्‍ट में अरुणाचल प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां आज भी हिंदी बोली जाती है। मोदी सरकार बनने के बाद सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास हो रहा है।

आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में आदिवासी जीवन के विभिन्न पहलुओं पर शोध करने के लिए बिरसा मुंडा भवन परिसर में एक केंद्र स्थापित किया जा रहा है।

होसबोले ने कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम समिति ने जनजाति वर्ग के उत्थान में निरंतर काम किया है। देश का कोई भी प्रांत हो, वहां जनजाति विकास में सदैव सक्रिय रहे। धारा अलग-अलग हो सकती है, पर स्रोत एक है, रक्त एक है। वनवासी क्षेत्र के अस्मिता रक्षा कार्य में कल्याण आश्रम समिति ने अपना लक्ष्‍य सफल तरीके से पार किया है।

उन्‍होंने कहा कि देश का विकास हो और जनजाति समाज का न हो, ऐसा नहीं चलेगा। देश के विकास के लिए अगर उनके जल-जंगल-जमीन की जरूरत पड़ी तो उसे लेकर सरकार पर उसके बदले उन्हें पुनर्वासन भी दिया जाए, तभी देश आगे बढ़ेगा।


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