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आतंक का पनाहगाह पाकिस्तान खुद मुश्किल में फंसा, फिर भी नहीं मान रहा

आतंक को पनाह देने वाले पाकिस्तान के हालत खराब होते जा रहे हैं, जिन आतंकियों को पाकिस्तान ने अपने एजेंडे के लिए पोषित किया

आतंक का पनाहगाह पाकिस्तान खुद मुश्किल में फंसा, फिर भी नहीं मान रहा
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नई दिल्ली। आतंक को पनाह देने वाले पाकिस्तान के हालत खराब होते जा रहे हैं, जिन आतंकियों को पाकिस्तान ने अपने एजेंडे के लिए पोषित किया, आज उन्हीं आतंकी संगठनों ने पाक की नाक में दम कर दिया है। इसका ताजा उदाहरण तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) पर प्रतिबंध लगाना है। हालांकि, फिर भी पाक बाज नहीं आ रहा है। एक तरफ अपने देश में अपने ही पोषित संगठनों पर प्रतिबंध लगा रहा है, दूसरी ओर बांग्लादेश में आईएसआई को सक्रिय करने में लगा है।

टीएलपी पर बैन के फैसले से एक बात तो साफतौर पर जाहिर हो चुकी है कि पाकिस्तान को अपनी धरती पर धार्मिक एजेंडा चलाने वाले कट्टरपंथी तत्वों से निपटने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

टीएलपी के सदस्यों ने गाजा एकजुटता मार्च निकाला, जो देखते ही देखते बेहद हिंसक हो गया। सुरक्षा बलों के साथ झड़प की घटना सामने आई। खासकर मुरीदके में मार्च काफी हिंसक हो गया और कई लोगों की मौत हो गई।

टीएलपी को पाकिस्तान की सरकार ही अस्तित्व में लेकर आई। टीएलपी हाल के वर्षों में धार्मिक एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश में हिंसक हो गया है। जिस तालिबान ने आज पाकिस्तान के नाक में दम कर रखा है, उसने जब अफगानिस्तान पर कब्जा किया था, तो इस्लामाबाद खुशी से फूले नहीं समा रहा था।

अपने देश में आतंकी संगठनों पर बैन लगाने वाला पाकिस्तान बांग्लादेश को पूर्वी पाकिस्तान बनाने में लगा हुआ है। हाल के दिनों में बांग्लादेश में आईएसआई की सक्रियता बढ़ी है।

हाल ही में बांग्लादेश की ओर से आधिकारिक तौर पर कहा गया कि इस्लामिक रिवोल्यूशनरी आर्मी (आईआरए) के पहले चरण का काम शुरू हो गया है।

आईआरए को बांग्लादेशी सेना और डीजीआईएफ के स्थान पर लाया जा रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि यूनुस सरकार अपने लिए एक वफादार सेना चाहती है, जो उसके इशारे पर चले और देश के हित के लिए काम न करे।

पाकिस्तान, बांग्लादेश में इस्लामिक स्टेट की स्थापना और लोगों से शरिया कानून का पालन करवाने पर जोर दे रहा है। यही कारण है कि आईआरए सदस्यों को आईएसआई के लोग ट्रेनिंग दे रहे हैं। पाकिस्तान बांग्लादेश के कंधे पर बंदूक रखकर भारत पर निशाना साधने की कोशिश कर रहा है।

राजनीतिक दृष्टिकोण से बांग्लादेश पाकिस्तान से काफी अलग है। भारत के साथ संबंधों के मामले में बांग्लादेश लिबरल है। इसका ताजा उदाहरण बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के नेता के एक बयान में देखने को मिल सकता है।

न्यूयॉर्क में एक विदेशी पत्रकार से बात करते हुए, जमात-ए-इस्लामी के नेता डॉ. शफीकुर रहमान ने कहा कि भारत, बांग्लादेश से 26 गुना ज्यादा बड़ा है। उनके संसाधन और जनशक्ति हमसे कहीं ज्यादा हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए, हम उनकी स्थिति का सम्मान करते हैं। हालांकि, उन्हें हमारे छोटे से भूभाग और लगभग 18 करोड़ लोगों के अस्तित्व का भी सम्मान करना चाहिए। यही हमारी मांग है। अगर ऐसा होता है, तो न केवल दोनों पड़ोसी अच्छी तरह से रह पाएंगे, बल्कि एक पड़ोसी को दूसरे की वजह से वैश्विक स्तर पर भी सम्मान मिलेगा।"

दूसरी ओर, बांग्लादेश में आईएसआई कठोर कानून लागू करने की कोशिश कर रहा है। आईआरए महिलाओं के अधिकारों पर अंकुश लगाने की कोशिश करेगा और बांग्लादेश में ईरान मॉड्यूल को भी अपनाने की बात कही जा रही है।

बांग्लादेश में इन दिनों जिस तरह की गतिविधि देखी जा रही है, इससे ये बात साफ है कि यह धीरे-धीरे ही सही लेकिन निश्चित रूप से हमारा पड़ोसी एक इस्लामी राष्ट्र बनता जा रहा है।


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