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बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ नेहरू का दृष्टिकोण महत्वपूर्ण : सोनिया गांधी

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जवाहरलाल नेहरू को बदनाम और मिटाने के प्रयासों के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि ये एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा हैं

बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ नेहरू का दृष्टिकोण महत्वपूर्ण : सोनिया गांधी
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नेहरू की विरासत बचाने के लिए सामूहिक प्रतिरोध का आह्वान

  • नेहरू की चुनिंदा कृतियों का डिजिटल संग्रह लॉन्च
  • संदीप दीक्षित की पहल को सोनिया गांधी ने सराहा

नई दिल्ली। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को जवाहरलाल नेहरू को बदनाम और मिटाने के प्रयासों के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि ये एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य उन सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक बुनियादों को नष्ट करना है जिन पर हमारे राष्ट्र की स्थापना और निर्माण हुआ है।

सोनिया गांधी ने कहा कि नेहरू पर हमले में शामिल समूह एक ऐसी विचारधारा को मानता है, जिसकी स्वतंत्रता आंदोलन या संविधान निर्माण में कोई भूमिका नहीं थी और जिसने नफरत को हवा दी, यहां तक कि जिसके कारण महात्मा गांधी की हत्या हुई। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक कट्टरपंथी और सांप्रदायिक दृष्टिकोण इन ताकतों को प्रेरित करता है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ प्रतिष्ठान नेहरू को विकृत, अपमानित और बदनाम करने के लिए एक सुनियोजित अभियान चला रहा है। इसका उद्देश्य इतिहास को फिर से लिखने के एक धूर्त और स्वार्थी प्रयास में उनकी बहुआयामी विरासत को ध्वस्त करना है।

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने सामूहिक प्रतिरोध का आह्वान किया और नागरिकों से खड़े होकर सामना करने का आग्रह किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि नेहरू की विरासत की रक्षा पुरानी यादों को ताजा करने का कार्य नहीं है, बल्कि भारत के संवैधानिक दृष्टिकोण, तर्कसंगत विमर्श और आधुनिक चरित्र को पुनः प्राप्त करने की प्रतिबद्धता है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि सहिष्णुता के लिए कम होते स्थान, असहमति के प्रति बढ़ती शत्रुता और इतिहास के राजनीतिकरण ने नेहरू के उदाहरण को आज विशेष रूप से प्रासंगिक बना दिया है। सोनिया गांधी ने कहा कि उन्होंने (नेहरू) एक ऐसे लोकतांत्रिक स्वभाव का उदाहरण प्रस्तुत किया जो असहमति को लोकतांत्रिक आवश्यकता मानता था और भारत की विविधता को उसकी ताकत मानता था।

उन्होंने बताया कि जवाहरलाल नेहरू स्मारक निधि द्वारा हाल ही में लॉन्च किया गया नेहरू की चुनिंदा कृतियों का डिजिटल संग्रह, 1903 से उनकी मृत्यु के दिन तक के 100 प्रकाशित खंडों तक खुली पहुंच प्रदान करता है।

सोनिया गांधी ने संदीप दीक्षित की पहल की सराहना की और इसे 'नेहरू को धोखे के जाल से बचाने' और तथ्य-आधारित जन-समझ को बढ़ावा देने के लिए एक आवश्यक प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल पूरे देश में होनी चाहिए।


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