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पंजाब में पिछले पांच साल में करीब 2.17 लाख किलोग्राम ड्रग्स जब्त : केंद्र

पंजाब में मादक पदार्थों की गंभीर समस्या बनी हुई है। राज्यसभा में बुधवार को पेश किए गए आंकड़ों से पता चला है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने 2019 से 2023 के बीच लगभग 2.17 लाख किलोग्राम मादक पदार्थ, करोड़ों गोलियां और हजारों लीटर अवैध ड्रग्स जब्त किए हैं

पंजाब में पिछले पांच साल में करीब 2.17 लाख किलोग्राम ड्रग्स जब्त : केंद्र
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नई दिल्ली। पंजाब में मादक पदार्थों की गंभीर समस्या बनी हुई है। राज्यसभा में बुधवार को पेश किए गए आंकड़ों से पता चला है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने 2019 से 2023 के बीच लगभग 2.17 लाख किलोग्राम मादक पदार्थ, करोड़ों गोलियां और हजारों लीटर अवैध ड्रग्स जब्त किए हैं।

यह जानकारी गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा सांसद स्वाति मालीवाल के एक प्रश्न के लिखित उत्तर के रूप में प्राप्त हुई।

राज्य मंत्री ने राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि पंजाब में 2019 में नशीले पदार्थों की जब्ती 44,239 किलोग्राम थी, जो 2020 में घटकर 37,364.676 किलोग्राम हो गई, 2021 में बढ़कर 38,78.170 किलोग्राम हो गई, 2022 में 49,421.858 किलोग्राम के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई और 2023 में भी 47,609.38 किलोग्राम पर बनी रही।

नशीले पदार्थों से संबंधित आपराधिक मामलों में भी न्याय व्यवस्था पर इसी तरह का बढ़ता दबाव दिखाई देता है। जहां 2019 में 11,536 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं महामारी के दौरान 2020 में इनकी संख्या घटकर 6,909 रह गई। हालांकि, 2022 में यह संख्या बढ़कर 12,442 और 2023 में 11,589 हो गई।

विचाराधीन मामलों की संख्या 2019 में 23,671 से बढ़कर 2023 के अंत तक 45,962 हो गई, जो लंबित मामलों की बढ़ती संख्या को दर्शाता है।

खास बात यह है कि दोषसिद्धि दर में लगातार सुधार हुआ है। 2019 में 64.8 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 67.2 प्रतिशत, 2021 में 77.9 प्रतिशत, 2022 में 79.2 प्रतिशत और 2023 में 82.7 प्रतिशत हो गई।

मादक द्रव्यों के सेवन से होने वाली मौतें एक गंभीर चिंता का विषय बनी हुई हैं। आंकड़ों के अनुसार, 2021 में 78 मौतें हुईं, जो 2022 में बढ़कर 144 हो गईं, और फिर 2023 में घटकर 89 रह गईं।

पुनर्वास के क्षेत्र में, केंद्र सरकार पंजाब में 10 नशामुक्ति और सहायता केंद्रों का समर्थन करती है।

इन केंद्रों के लिए केंद्रीय निधि 2022-23 में 1.01 करोड़ रुपए से बढ़कर 2024-25 में 2.96 करोड़ रुपए हो गई, और प्रतिवर्ष 11,000 से अधिक लोगों का पुनर्वास किया जा रहा है।


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