नेशनल कॉन्फ्रेंस न्यूनतम अपेक्षाओं को पूरा करने में भी विफल रही : महबूबा मुफ्ती
जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला सरकार पर निशाना साधा है

महबूबा मुफ्ती का हमला : नेशनल कॉन्फ्रेंस न्यूनतम अपेक्षाओं में विफल
- ठंड में घरों पर बुलडोजर, असहाय परिवार बेघर
नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला सरकार पर निशाना साधा है। महबूबा ने आरोप लगाया कि ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस न्यूनतम अपेक्षाओं को पूरा करने में भी विफल रही है। चाहे आरक्षण हो, बेरोजगारी हो, बिजली हो या शासन व्यवस्था, इसने राज्य का दर्जा न होने का बहाना बनाकर अपने चुनावी वादों को पूरा करने में असमर्थता को छिपाया है।
इस दौरान जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (जम्मू-केपीडीपी) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर ‘स्पीक अप’ शीर्षक से एक न्यूजलेटर भी शेयर किया है। इस न्यूजलेटर लेटर में पीडीपी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार को कश्मीर के लोगों के प्रति जिम्मेदारियां याद दिलाई हैं।
उन्होंने न्यूज लेटर में बताया कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने नई सरकार से उम्मीदें लगा रखी थीं, जो पूरी नहीं हो पाई। लेटर में लिखा कि कड़ाके की ठंड आते ही कश्मीरी लोग उम्मीद से भर उठे। शायद सरकार बिजली की खरीद की घोषणा करेगी और बिजली कटौती कम करेगी, क्योंकि इस साल सर्दी पहले से ज्यादा और लंबी होने का अनुमान था, लेकिन अफसोस उनकी उम्मीदें धरी रह गईं। सरकार ने प्रीपेड मीटर लगाने पर अड़ियल रुख अपना लिया है। हमारी अर्थव्यवस्था पहले से ही चरमराई हुई है, कश्मीर में पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है, राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने के कारण बागवानी को भारी नुकसान हुआ है, और लाल किले के विस्फोट का असर अभी भी बना हुआ है। ऐसे में सरकार अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के बजाय प्रीपेड मीटरों पर अड़ी हुई है, मानो उपरोक्त घटनाओं ने हमारी अर्थव्यवस्था को पहले ही तबाह न कर दिया हो।
जब इस सरकार को आरक्षण और बेरोजगारी से निपटने जैसे मौजूदा मुद्दों को हल करने पर ध्यान देना चाहिए था, तब उसने कड़ाके की ठंड में घरों को ध्वस्त करना ही सबसे अच्छा रास्ता समझा, जिससे असहाय परिवार बेघर हो गए।
उत्तर प्रदेश, बिहार और जम्मू-कश्मीर जैसे स्थानों में क्या अंतर है? यहां भी मुस्लिम के घरों को ध्वस्त किया जा रहा है। और वही मुख्यमंत्री, जो लगभग पचास सीटों से चुने गए थे, हमारे लोगों को 'भूमि हड़पने वाले' कहने का साहस रखते हैं। अब अपने मुख्यमंत्री के शब्दों से उत्साहित होकर, जल्दबाजी में काम करने वाले नौकरशाह अंधाधुंध घरों को बुलडोजर से गिरा रहे हैं, जबकि राष्ट्रीय कांग्रेस अपने वादों पर खरी नहीं उतर सकी, वह भारत सरकार के बुलडोजर राज को लागू करने वाली संस्था बन गई।


