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माइनिंग, कंस्ट्रक्शन से तबाह हुईं अरावली पहाड़ियाँ, एनवायरनमेंट और पब्लिक हेल्थ पर पड़ेगा गंभीर असर, तुरंत रिव्यू करने की ज़रूरत : जयराम रमेश

जयराम रमेश ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर लिखा-अरावली पहाड़ियाँ दिल्ली से हरियाणा और राजस्थान होते हुए गुजरात तक फैली हुई हैं

माइनिंग, कंस्ट्रक्शन से तबाह हुईं अरावली पहाड़ियाँ, एनवायरनमेंट और पब्लिक हेल्थ पर पड़ेगा गंभीर असर, तुरंत रिव्यू करने की ज़रूरत : जयराम रमेश
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माइनिंग, कंस्ट्रक्शन से एनवायरनमेंट-पब्लिक हेल्थ पर होंगे गंभीर नतीजे, तुरंत रिव्यू करने की ज़रूरत : जयराम रमेश

नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने अरावली पहाड़ियों को लेकर एक नई परिभाषा दी है जिससे इन पहाड़ियों का 90 प्रतिशत हिस्सा अब अरावली नहीं माना जाएगा। हैरान करने वाले इस फैसले की बेहतर भविष्य के लिए समीक्षा करने की सख्त जरूरत है।

कांग्रेस संचार विभाग की प्रभारी जयराम रमेश गुरुवार को सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि अरावली की पहाड़ियाँ दिल्ली से हरियाणा और राजस्थान होते हुए गुजरात तक फैली हुई हैं। पिछले कुछ वर्षों में नियमों और कानूनों के उल्लंघन से खनन, निर्माण और अन्य गतिविधियों के कारण ये पहाड़ियाँ तबाह हो गई हैं।

उन्होंने लिखा, "अब ऐसा लग रहा है कि इस संवेदनशील और विशाल पारिस्थितिकी तंत्र को एक और गंभीर झटका लगने वाला है। एक खबर के अनुसार, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय को अरावली पहाड़ियों की एक नयी परिभाषा सुझाई है। इस परिभाषा का उद्देश्य खनन को प्रतिबंधित करना है लेकिन वास्तव में इसका मतलब यह होगा कि अरावली पहाड़ियों का 90 प्रतिशत हिस्सा अब अरावली नहीं माना जाएगा। न्यायालय ने इस संशोधित परिभाषा को स्वीकार कर लिया है।"

कांग्रेस नेता ने इसे अजीब स्थिति बताया और कहा कि इसके पर्यावरण और जन स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर परिणाम होंगे। इसकी तत्काल समीक्षा की आवश्यकता है।नरक का रास्ता वास्तव में नेक इरादों से बना है।


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