Top
Begin typing your search above and press return to search.

प्रधानमंत्री मोदी से मिलना कुछ नया सीखने का अवसर होता है : उदय कोटक

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अपना 75वां जन्मदिन मनाएंगे। भारतीय जनता पार्टी ने इस उपलक्ष्य में देश में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए हैं

प्रधानमंत्री मोदी से मिलना कुछ नया सीखने का अवसर होता है : उदय कोटक
X

नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अपना 75वां जन्मदिन मनाएंगे। भारतीय जनता पार्टी ने इस उपलक्ष्य में देश में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए हैं। राजनीतिक वर्ग के साथ साथ व्यापारी वर्ग भी प्रधानमंत्री के 75वें जन्मदिन को लेकर बेहद उत्साहित है। देश के मशहूर उद्योगपति उदय कोटक ने कहा है कि पीएम मोदी मिलना हर बार उनके लिए कुछ नया सीखने वाला अवसर होता है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर करने के साथ ही उदय कोटक ने एक लंबी पोस्ट लिखी है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री से जुड़े अपने भाव व्यक्त किए हैं।

उदय कोटक ने लिखा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हर बातचीत सीखने का अवसर और और प्रेरणादायी अनुभव होता है। अपनी जिज्ञासा को जिस विनम्रता और दूरदर्शिता से वह जोड़ते हैं, वह मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। पिछले कुछ वर्षों में, मुझे उनके साथ बातचीत करने के कई अवसर मिले हैं। हर बार मुझे उनकी उल्लेखनीय नेतृत्व शैली की गहरी समझ मिली है।"

उन्होंने लिखा, "वाइब्रेंट गुजरात के प्रति उनके गहरे जुनून ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। मैं लंबे समय से इस सम्मेलन में भाग लेता रहा हूं। हर बार मुझे उनसे आमने-सामने मिलने का सौभाग्य मिला है। हमारी चर्चा हमेशा विकास और भारत को एक मजबूत और गतिशील राष्ट्र में कैसे बदला जा सकता है, इस पर केंद्रित होती थी।"

उदय कोटक ने लिखा, "मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान मुझे उनके साथ विदेश यात्रा करने का भी अवसर मिला। उनकी जिज्ञासा अद्भुत थी। वह नए देश की यात्रा करते हुए कुछ नया सीखते। कई मौकों पर, उन्होंने उन यात्राओं से अपने अवलोकन और अंतर्दृष्टि को साझा भी किया।"

उन्होंने लिखा, "एक बार अहमदाबाद में एक मुलाकात के दौरान उन्होंने मुझे अपनी जापान यात्रा के बारे में बताया, जहां उन्होंने रेलवे स्टेशन तक जाने वाली सड़कों पर ब्रेल लिपि में लिखे निशान देखे थे। उन्होंने बताया कि कैसे एक दृष्टिबाधित व्यक्ति उन टाइलों का उपयोग करके स्वतंत्र रूप से और सुरक्षित रूप से चल सकता है। वे इस विचार से इतने प्रभावित हुए कि गुजरात लौटने पर, उन्होंने अहमदाबाद के कांकरिया में भी यही अवधारणा लागू की। आज भी कांकरिया में हम इसे देख सकते हैं।"

कोटक ने लिखा, "यह छोटा सा उदाहरण बारीकियों पर उनके ध्यान क्रियान्वयन और समावेशी विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जब भी वे दूसरे देश में जाते थे, तो वे सर्वोत्तम प्रथाओं को सीखने और उन्हें गुजरात और भारत की बेहतरी के लिए अपनाने के लिए उत्सुक रहते थे। सीखने, अनुकूलन और सुधार की यह अथक इच्छा, भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के उनके दृष्टिकोण को प्रेरित करती रहती है।"


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it