संसद में MGNREGA खत्म करने वाले बिल पर खड़गे का तीखा हमला
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को समाप्त करने वाले बिल पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया

कांग्रेस अध्यक्ष बोले गरीबों को फिर से भुखमरी और गरीबी में धकेला जाएगा
- खड़गे ने आरोप लगाया सरकार ने 11 वर्षों में योजना को धीरे-धीरे कमजोर किया
- गांधी के नाम से जुड़ी योजना को खत्म करने पर विपक्ष ने जताई नाराजगी
- खड़गे ने बिल को दूसरी नोटबंदी बताया, सरकार पर कानूनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने का आरोप
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को समाप्त करने वाले बिल पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने अपने वक्तव्य के अंश सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर साझा किए, जिसमें उन्होंने इस कानून को गरीबों और कमजोर तबकों के खिलाफ बताया।
महात्मा गाँधी नरेगा को ख़त्म करने वाले बिल पर संसद में बहस के दौरान मेरे वक्तव्य के कुछ अंश - ▪️ये कानून सबसे कमजोर तबकों को फिर से भुखमरी और गरीबी के चक्रव्यूह में फंसा देगा। ▪️आप गरीबों को जो सपना दिखा रहे हैं, वो कभी पूरा नहीं होगा। इसीलिए गरीब कह रहे हैं कि"बुलंद वादों… pic.twitter.com/Aw4pCEeIJh
— Mallikarjun Kharge (@kharge) December 18, 2025
विपक्ष का हमला
खड़गे ने कहा कि यह कानून सबसे कमजोर तबकों को फिर से भुखमरी और गरीबी के चक्रव्यूह में फंसा देगा। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि गरीबों को जो सपना दिखाया जा रहा है, वह कभी पूरा नहीं होगा। अपने वक्तव्य में उन्होंने गरीबों की आवाज़ को कविता के रूप में पेश किया:
“बुलंद वादों की बस्तियां लेकर हम क्या करेंगे, हमें हमारी जमीं दे दो, हम आसमां लेकर क्या करेंगे।”
उन्होंने चेतावनी दी कि देशभर में इस कानून का विरोध होगा और अंततः सरकार को इसे वापस लेना पड़ेगा। उनका सुझाव था कि मनरेगा को पुराने स्वरूप में जारी रखा जाए और इसके लिए अधिक बजटीय आवंटन किया जाए।
विरोध की चेतावनी
कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि देशभर में इस कानून का विरोध होगा और अंततः सरकार को इसे वापस लेना पड़ेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि MGNREGA को पुराने स्वरूप में जारी रखा जाए और इसके लिए अधिक धन आवंटित किया जाए।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में सरकार ने कई तरीकों से इस योजना को कमजोर किया है
- बजट में लगातार कटौती
- राज्यों के भुगतान रोके गए
- मजदूरों के नाम काटे गए
- प्रशासनिक अड़चनें खड़ी की गईं
गांधी का नाम और योजना की पहचान
विपक्ष ने कहा कि “महात्मा गांधी” नाम जुड़ने से इस योजना को राष्ट्रीय पहचान मिली थी। यह गांधीजी के ग्रामीण उत्थान, आत्मनिर्भरता और श्रम की गरिमा के विचारों को सम्मान देने के लिए बनाया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार गांधीजी के मिशन “wipe every tear from every eye” को खत्म कर रही है।
विपक्ष ने नए प्रावधानों को अव्यावहारिक और अलोकतांत्रिक बताया
- रोजगार देने का आधार अब ‘माँग’ नहीं होगा।
- कटाई-बुवाई के मौसम में 60 दिन तक काम नहीं मिलेगा।
- केंद्र तय करेगा कि कहाँ और किस योजना पर कितना खर्च होगा, जिससे पंचायतों और राज्य सरकारों की भूमिका सीमित हो जाएगी।
- केंद्र का खर्च 90% से घटाकर 60% कर दिया गया है और राज्यों पर 40% बोझ डाल दिया गया है।
“दूसरी नोटबंदी” की चेतावनी
खड़गे ने सरकार को चेतावनी दी कि यह कदम दूसरी नोटबंदी साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों पर कोई उपकार नहीं कर रही है, बल्कि यह राज्य की कानूनी जिम्मेदारी है, जिसे वह समाप्त करना चाहती है।


