संयुक्त कमांडर्स सम्मेलन में सशस्त्र बलों के भविष्य का रोडमैप तय, संयुक्तता और नवाचार पर जोर
तीन सेनाओं यानी आर्मी, नेवी व एयरफोर्स का संयुक्त कमांडर्स सम्मेलन बुधवार को सम्पन्न हो गया। सशस्त्र बलों का यह वह सर्वोच्च मंच है, जिसमें रक्षा मंत्रालय एवं तीनों सेनाओं के शीर्ष निर्णयकर्ता एक साथ बैठकर रणनीतिक एवं वैचारिक विमर्श करते हैं

तीनों सेनाओं का साझा विज़न : कमांडर्स सम्मेलन में उभरते खतरों से निपटने की रणनीति बनी
- प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में सैन्य सुधारों की समीक्षा
- सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने प्रस्तुत किया सुधार वर्ष का खाका, सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने की प्रतिबद्धता
नई दिल्ली। तीन सेनाओं यानी आर्मी, नेवी व एयरफोर्स का संयुक्त कमांडर्स सम्मेलन बुधवार को सम्पन्न हो गया। सशस्त्र बलों का यह वह सर्वोच्च मंच है, जिसमें रक्षा मंत्रालय एवं तीनों सेनाओं के शीर्ष निर्णयकर्ता एक साथ बैठकर रणनीतिक एवं वैचारिक विमर्श करते हैं।
इस सम्मेलन में सशस्त्र बलों के भविष्य का रोडमैप तैयार करने व तीनों सेनाओं के बीच संयुक्तता को बढ़ाने पर जोर दिया गया। इसके अलावा क्षमताओं के विकास को दिशा देने तथा राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं के अनुरूप योजनाओं को संरेखित करने पर मंथन हुआ। सैन्य कमांडर्स का यह सम्मेलन सशस्त्र बलों को और अधिक एकीकृत, तकनीकी रूप से उन्नत और परिचालन रूप से चुस्त-दुरुस्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुआ है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह सम्मेलन सेनाओं को बहु-क्षेत्रीय खतरों का सामना करने, राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने तथा राष्ट्र निर्माण एवं वैश्विक शांति व स्थिरता में योगदान करने के लिए तैयार करेगा। कमांडर कॉन्फ्रेंस में तीनों सेनाओं के प्रमुख व सीडीएस मौजूद रहे।
सम्मेलन का उद्घाटन 15 सितंबर को कोलकाता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। सम्मेलन का आरंभ संयुक्त अभियान कमांड सेंटर द्वारा उच्चस्तरीय प्रदर्शन से हुआ। इसके बाद भारतीय एयर डिफेंस का लाइव प्रदर्शन किया गया जिसमें हवाई निगरानी, मिसाइल रक्षा और ड्रोन-रोधी क्षमताओं का प्रदर्शन शामिल था। चर्चाओं में भविष्य के युद्ध की बदलती प्रकृति तथा बहु-क्षेत्रीय ऑपरेशनों पर विशेष विमर्श हुआ।
यहां सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने पिछले दो वर्षों के प्रमुख सुधारों और अब तक उठाए गए कदमों की समीक्षा प्रस्तुत की। प्रधानमंत्री ने अपने प्रेरक संबोधन में सशस्त्र बलों के रणनीतिक दृष्टिकोण को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भविष्य की तैयारियों के लिए संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार अत्यंत आवश्यक हैं।
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक अहम सत्र की अध्यक्षता की। इस सत्र में सैन्य बलों की वर्तमान तैयारी, क्षमता विकास और भविष्य के युद्धों के लिए रणनीतिक रोडमैप की समीक्षा की गई। इस सम्मेलन का एक मुख्य फोकस ‘सूचना युद्ध’ का बढ़ता महत्व रहा। इसी के साथ ‘संयुक्त सैन्य अंतरिक्ष सिद्धांत’ भी जारी किया गया, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में एक ऐतिहासिक कदम माना गया। पड़ोसी देशों और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर खुले मंच में चर्चा हुई। आधुनिक उपकरणों की खरीद, वित्तीय अधिकारों के वितरण और प्रक्रियागत पारदर्शिता जैसे विषयों पर गंभीर बहस हुई।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेनाओं को पारंपरिक युद्ध की सोच से आगे बढ़कर सूचना युद्ध, वैचारिक युद्ध, इकोलोजिकल एवं बायोलॉजिकल (जैविक) युद्ध जैसी अदृश्य चुनौतियों से सतर्क और तैयार रहने का आह्वान किया है। सैन्य कमांडरों के इस सम्मेलन में अंतिम दिन का फोकस – ‘उभरते खतरे और भविष्य की चुनौतियां’ था।
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने सुधार वर्ष के तहत तैयार की गई योजनाओं का विस्तृत ब्यौरा दिया। आर्मी, नेवी व एयरफोर्स के बीच संयुक्तता और सेवाओं के बीच एकीकरण, अंतर-परिचालन क्षमता, त्वरित निर्णय-प्रक्रिया तथा स्पेस, साइबर, सूचना और विशेष अभियान जैसे क्षेत्रों के लिए संस्थागत सुधारों पर जोर दिया गया। प्रौद्योगिकी-आधारित युद्धक क्षमता, नवाचार और उन्हें परिचालन सिद्धांतों में शामिल करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
सम्मेलन का समापन सीडीएस के सारगर्भित वक्तव्य के साथ हुआ। उन्होंने सेनाओं की फुर्तीली, आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार रूपांतरण की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि सुधारों को निरंतर प्रक्रिया के रूप में संस्थागत करना अनिवार्य है।


