अरावली पर नई परिभाषा को लेकर जयराम रमेश का तीखा हमला
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अरावली पर्वतमाला से जुड़ी हालिया घोषणाओं पर तीखा हमला बोला है

कांग्रेस नेता बोले- सरकार की घोषणाएँ सिर्फ़ दिखावा, असली संरक्षण नहीं
- 100 मीटर ऊँचाई वाली परिभाषा पर सवाल, सुप्रीम कोर्ट की सिफ़ारिशों के विपरीत
- पर्यावरणविदों की चेतावनी- नई नीति से अरावली की सुरक्षा पर संकट
- दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के पर्यावरण संतुलन के लिए अरावली अहम
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अरावली पर्वतमाला से जुड़ी हालिया घोषणाओं पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि यह "डैमेज कंट्रोल की एक खोखली और भ्रामक कोशिश है, जो किसी को भी मूर्ख नहीं बना पाएगी। ये सिर्फ़ दिखावटी घोषणाएँ हैं।"
रमेश ने आरोप लगाया कि अरावली की नई परिभाषा- जिसमें 100 मीटर से ऊपर की ऊँचाई को खतरनाक बताया गया है- वास्तव में फ़ॉरेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी और सुप्रीम कोर्ट के अमीकस क्यूरी की सिफ़ारिशों के विपरीत है। उनका कहना है कि इस तरह की परिभाषा से अरावली क्षेत्र की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है।
यह डैमेज कंट्रोल की एक खोखली और भ्रामक कोशिश है, जो किसी को भी मूर्ख नहीं बना पाएगी। ये सिर्फ़ दिखावटी घोषणाएँ हैं, जबकि अरावली की खतरनाक 100 मीटर से ऊपर वाली नई परिभाषा-जिसे फ़ॉरेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी और सुप्रीम कोर्ट के अमीकस… pic.twitter.com/eTmNJC8OpQ
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 24, 2025
यह बयान ऐसे समय आया है जब सरकार ने अरावली संरक्षण से जुड़ी कुछ नई नीतिगत घोषणाएँ की हैं। पर्यावरणविदों का मानना है कि अरावली की रक्षा के लिए सख़्त और स्पष्ट नियमों की ज़रूरत है, क्योंकि यह पर्वतमाला न केवल दिल्ली-एनसीआर बल्कि पूरे उत्तर भारत के पर्यावरणीय संतुलन के लिए बेहद अहम है।


