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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले जयराम रमेश, एसआईआर मुद्दे पर चुनाव आयोग हुआ बेनकाब

कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिहार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर दिए गए फैसले का स्वागत किया

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले जयराम रमेश, एसआईआर मुद्दे पर चुनाव आयोग हुआ बेनकाब
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एसआईआर मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला, चुनाव आयोग पर कांग्रेस का तीखा हमला

  • जयराम रमेश बोले– सुप्रीम कोर्ट ने लोकतंत्र को बचाया, चुनाव आयोग बेनकाब
  • बिहार एसआईआर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, कांग्रेस ने फैसले को बताया ऐतिहासिक
  • हटाए गए मतदाताओं की सूची सार्वजनिक करने का आदेश, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को लगाई फटकार
  • आधार को पहचान पत्र मानने का निर्देश, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की दलीलें खारिज कीं
  • जयराम रमेश का आरोप– चुनाव आयोग का रवैया लोकतंत्र विरोधी, सुप्रीम कोर्ट ने किया हस्तक्षेप
  • राजनीतिक दलों की भागीदारी अनिवार्य, सुप्रीम कोर्ट ने संशोधन प्रक्रिया को बनाया समावेशी

नई दिल्ली। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिहार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर दिए गए फैसले का स्वागत किया। इसे लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव आयोग बेनकाब हो गया।

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिहार एसआईआर मुद्दे पर दिए गए आज के फैसले का स्वागत करती है और इसकी सराहना करती है। हमारे देश का लोकतंत्र भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के घातक हमले से बच गया है।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को हस्तक्षेप करते हुए चुनाव आयोग के उस निर्णय को रद्द कर दिया था जिसमें उसने हटाए गए मतदाताओं की लिस्ट साझा करने से इनकार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई को निर्देश दिया था कि हटाए गए मतदाताओं की सूची कारणों सहित प्रकाशित की जाए।

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि 14 अगस्त को ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि जिन मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, उनके लिए आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जाए। अदालत ने आज एक बार फिर स्पष्ट किया है कि आधार एक मान्य पहचान पत्र है, जिसे चुनाव आयोग को अनिवार्य रूप से स्वीकार करना होगा।

उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने संशोधन प्रक्रिया को अधिक समावेशी बनाने के लिए सुरक्षा उपाय तय किए हैं, जिनमें राजनीतिक दलों की भागीदारी को भी शामिल किया गया है। अब तक चुनाव आयोग का रवैया बाधा उत्पन्न करने वाला है और मतदाताओं के हितों के विपरीत रहा है। हम इस फैसले का स्वागत करते हैं, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि यह हमें एक ऐसा अधिकार प्रदान करता है जिसे चुनाव आयोग अनदेखा नहीं कर सकता। चुनाव आयोग पूरी तरह से बेनकाब और बदनाम हो गया है। इसके जी2 कठपुतली संचालक निर्णायक रूप से पराजित हो गए हैं।


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