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क्या आपका भूलना सिर्फ थकान है या अल्जाइमर की आहट? एम्स की डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने बताए संकेत

अल्जाइमर एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो मुख्य रूप से बढ़ती उम्र के साथ लोगों को प्रभावित करती है

क्या आपका भूलना सिर्फ थकान है या अल्जाइमर की आहट? एम्स की डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने बताए संकेत
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भूलना थकान है या अल्जाइमर की आहट? एम्स की डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने बताए शुरुआती संकेत

  • याददाश्त की कमजोरी को न करें नजरअंदाज, एम्स विशेषज्ञ ने बताया अल्जाइमर का सच
  • सोशल मीडिया से दिमाग पर असर, एम्स ने बताया कैसे रखें याददाश्त को मजबूत

नई दिल्ली। अल्जाइमर एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो मुख्य रूप से बढ़ती उम्र के साथ लोगों को प्रभावित करती है। यह धीरे-धीरे याददाश्त को कमजोर कर देती है और व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता पर गहरा असर डालती है।

शुरुआत में रोगी छोटी-छोटी बातें भूलने लगता है, लेकिन समय के साथ हिसाब-किताब करना, पढ़ना-लिखना, और रास्ते ढूंढना जैसी बुनियादी क्षमताएं भी प्रभावित होने लगती हैं। यही कारण है कि इसे उम्र से जुड़ी सबसे प्रमुख मानसिक बीमारियों में गिना जाता है।

एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. मंजरी त्रिपाठी के अनुसार, अल्जाइमर के तीन चरण होते हैं—अर्ली, मिड और एडवांस स्टेज। यदि मरीज शुरुआती दौर में ही डॉक्टर से संपर्क कर लें तो बीमारी के बढ़ने को नियंत्रित किया जा सकता है। शुरुआती पहचान बेहद जरूरी है क्योंकि बाद के चरणों में इसका इलाज कठिन हो जाता है।

इस बीमारी से बचाव के लिए दिनचर्या को संतुलित रखना सबसे अहम है। सही खानपान, पर्याप्त नींद और नियमित योगाभ्यास मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में सहायक साबित होते हैं। बढ़ती उम्र में खुद को व्यस्त रखना और नई-नई चीजें सीखते रहना भी दिमाग को सक्रिय बनाए रखता है। पढ़ाई, लेखन, संगीत या किसी शौक में लगे रहना याददाश्त को मजबूत करता है।

एम्स में इस दिशा में विशेष काम किया जा रहा है। यहां मेमोरी क्लीनिक संचालित है, जहां अल्जाइमर के मरीजों की जांच, टेस्ट और उपचार किए जाते हैं। इस क्लीनिक में विशेषज्ञ मरीजों की स्थिति का आकलन करते हैं और उन्हें उचित चिकित्सा तथा परामर्श प्रदान करते हैं।

आजकल तकनीक के अत्यधिक प्रयोग ने भी याददाश्त पर बुरा असर डाला है। लंबे समय तक मोबाइल पर सोशल मीडिया स्क्रॉल करना बच्चों और युवाओं की मेमोरी को प्रभावित करता है। इससे उनकी पढ़ाई और कामकाज दोनों में गिरावट देखी जा रही है। याददाश्त की कमजोरी केवल बुजुर्गों की समस्या नहीं रही, बल्कि युवा वर्ग भी इससे प्रभावित हो रहा है।

चिकित्सकीय अध्ययनों के अनुसार, अल्जाइमर की बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाई जाती है। हार्मोनल बदलाव और लंबी आयु इसके प्रमुख कारण माने जाते हैं।

हालांकि, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि कभी-कभार चीजें भूल जाना अल्जाइमर का लक्षण नहीं होता। यदि हमें यह याद है कि हमने कुछ भुला दिया है, तो यह सामान्य व्यस्त दिनचर्या का हिस्सा है। दिमाग पर एक साथ बहुत-से कामों का बोझ होने पर भी ऐसी स्थिति हो सकती है।


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