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आईपीएस प्रवीण कुमार बने बीएसएफ के महानिदेशक, दलजीत सिंह चौधरी हुए रिटायर

आईपीएस अधिकारी प्रवीण कुमार ने बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के डायरेक्टर जनरल का चार्ज संभाल लिया है। उन्होंने रविवार को बीएसएफ के डीजी की जिम्मेदारी संभाली है

आईपीएस प्रवीण कुमार बने बीएसएफ के महानिदेशक, दलजीत सिंह चौधरी हुए रिटायर
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नई दिल्ली। आईपीएस अधिकारी प्रवीण कुमार ने बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के डायरेक्टर जनरल का चार्ज संभाल लिया है। उन्होंने रविवार को बीएसएफ के डीजी की जिम्मेदारी संभाली है।

आईटीबीपी के डीजी प्रवीण कुमार ने बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के डायरेक्टर जनरल का अतिरिक्त चार्ज संभाला। बीएसएफ दुनिया की सबसे बड़ी बॉर्डर गार्डिंग फोर्स है। दलजीत सिंह चौधरी अब तक बीएसएफ के डीजी थे, लेकिन वह आज रिटायर हो गए। ऐसे में इसकी जिम्मेदारी प्रवीण कुमार को दी गई है।

प्रवीण कुमार इंडियन पुलिस सर्विस वेस्ट बंगाल कैडर के 1993 बैच के ऑफिसर हैं। 32 वर्षों के अपने करियर में उन्होंने अपने कैडर पश्चिम बंगाल और इंटेलिजेंस ब्यूरो, दोनों में विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यभार संभाले हैं।

इससे पहले 30 सितंबर को ही आईपीएस अधिकारी प्रवीण कुमार ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) के महानिदेशक का पदभार ग्रहण किया था।

प्रवीण कुमार को भारतीय पुलिस पदक (आईपीएम), राष्ट्रपति पुलिस पदक (पीपीएम), पुलिस (विशेष कर्तव्य) पदक, पुलिस आंतरिक सुरक्षा सेवा पदक, और असाधारण सूचना कुशलता पदक से सम्मानित किया जा चुका है।

दलजीत सिंह चौधरी चार वीरता पदक प्राप्त कर चुके हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बीएसएफ का नेतृत्व दलजीत सिंह चौधरी ने ही किया था। पहलगाम आतंकी हमले के बाद सीमा पार ऑपरेशन में उनकी भूमिका के लिए बीएसएफ कर्मियों को दो वीर चक्र और 16 वीरता पदक से सम्मानित किया गया।

बता दें कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) लगभग 2,70,000 कर्मियों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा सीमा सुरक्षा बल है। वहीं आईटीबीपी, एक केंद्रीय पुलिस संगठन है। आईटीबीपी जवानों की तैनाती भारत-चीन सीमा पर होती है।

आईटीबीपी और बीएसएफ दोनों के प्रमुख के रूप में प्रवीण कुमार अब दो प्रमुख सीमा सुरक्षा बलों की देखरेख करेंगे और हिमालयी (भारत-चीन) तथा पश्चिमी व उत्तरी (भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश) दोनों सीमाओं के प्रबंधन की जिम्मेदारी उनके ऊपर है। दोनों विभागों की जिम्मेदारी उनके ऊपर तब तक रहेगी, जब तक स्थायी उत्तराधिकारी की नियुक्ति नहीं हो जाती या आगे के आदेश जारी नहीं हो जाते।


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