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भारत लोकतंत्र की जननी है, इसके सपनों को साकार करना हमारी जिम्मेदारी : सिंधिया

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिल्ली विधानसभा में आयोजित विट्ठल भाई पटेल निर्वाचन शताब्दी समारोह एवं ऑल इंडिया स्पीकर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया

भारत लोकतंत्र की जननी है, इसके सपनों को साकार करना हमारी जिम्मेदारी : सिंधिया
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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को दिल्ली विधानसभा में आयोजित विट्ठल भाई पटेल निर्वाचन शताब्दी समारोह एवं ऑल इंडिया स्पीकर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता सहित देशभर की विधानसभाओं व विधान परिषदों के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष उपस्थित रहे।

सिंधिया ने कहा कि दिल्ली विधानसभा केवल ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की जीवंत आत्मा है। विट्ठलभाई पटेल ने औपनिवेशिक ढांचे के बीच भारतीय संसदीय गरिमा को नई पहचान दी और लोकतंत्र की मजबूत नींव रखी।

उन्होंने कहा कि भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है और जी-20 जैसे वैश्विक मंचों पर हमारे लोकतांत्रिक मॉडल की सराहना हुई है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पारित नारी शक्ति वंदन अधिनियम आधी आबादी को सशक्त प्रतिनिधित्व और बराबर की भागीदारी सुनिश्चित करता है। आज महिलाएं पंचायत से संसद और शिक्षा से उद्यमिता तक हर क्षेत्र में राष्ट्र निर्माण की ऊर्जा बन रही हैं।

केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा कि लोकतांत्रिक परंपराओं को आगे बढ़ाना युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी है। हमें मिलकर पूर्वजों के सपनों को साकार करना है और लोकतंत्र की ज्योति को सदैव प्रज्वलित रखना है।

सिंधिया ने कहा कि बिहार की पावन धरती वैशाली, विश्व के पहले गणतंत्र की साक्षी रही है, जो भारत की प्राचीन और गहरी लोकतांत्रिक परंपरा को दर्शाती है। आज वही परंपरा संविधान और संसदीय व्यवस्था के माध्यम से और सशक्त हो रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र न केवल हमारे लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा है, और इसी कारण भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा और हाल ही में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं ने स्वीकार किया कि 140 करोड़ की आबादी में भारत का लोकतांत्रिक मॉडल समावेशी शासन का अद्भुत उदाहरण है। यह भारतीय लोकतंत्र की वैश्विक मान्यता है।

1927 तक यह भवन ब्रिटिश काल की केंद्रीय विधानसभा के रूप में प्रयुक्त होता रहा। स्वतंत्रता के बाद महानगर परिषद व दिल्ली विधानसभा यहीं से संचालित हुई और 1993 से यह दिल्ली विधानसभा का स्थायी भवन है।


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