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भारत 23 वर्ल्ड-क्लास रिफाइनरियों के साथ अब टॉप पांच रिफाइनिंग देशों में शामिल : हरदीप सिंह पुरी

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने जानकारी देते हुए कहा कि 23 वर्ल्ड-क्लास रिफाइनरियों और 258.2 एमएमटीपीए की कुल क्षमता के साथ भारत अब टॉप पांच रिफाइनिंग देशों में शामिल हो गया है

भारत 23 वर्ल्ड-क्लास रिफाइनरियों के साथ अब टॉप पांच रिफाइनिंग देशों में शामिल : हरदीप सिंह पुरी
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नई दिल्ली। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार को जानकारी देते हुए कहा कि 23 वर्ल्ड-क्लास रिफाइनरियों और 258.2 एमएमटीपीए की कुल क्षमता के साथ भारत अब टॉप पांच रिफाइनिंग देशों में शामिल हो गया है।

केंद्रीय मंत्री पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "भारत की रिफाइनिंग स्टोरी ग्रोथ, इनोवेशन और आत्मनिर्भरता की कहानी है। घरेलू मांग को पूरा करने से लेकर ग्लोबल मार्केट की जरूरतों को पूरा करने तक यह यात्रा काफी शानदार रही है।"

उन्होंने आगे जानकारी देते हुए कहा, पेट्रोलियम प्रोडक्ट का निर्यात जहां 2014-15 में 55.5 मिलियन टन दर्ज किया गया था, वहीं यह आज 2024-25 में बढ़कर 64.7 मिलियन टन के आंकड़े को छू चुका है।

केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि आज के समय में हर रिफाइनरी बीएस-VI फ्यूल का उत्पादन कर रही है, जो कि दुनिया भर में सबसे क्लीन फ्यूल है। इसके अलावा, पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत राजस्थान और ओडिशा में स्थित नए पेट्रोकैमिकल हब के साथ ऊर्जा के भविष्य को फिर से परिभाषित कर रहे हैं।

इससे पहले इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय मंत्री पुरी ने मिशन अन्वेषण को लेकर जानकारी देते हुए बताया था कि इसका उद्देश्य देश भर में 20 हजार ग्राउंड लाइन किलोमीटर्स से अधिक की मैपिंग करना है। जबकि अभी तक कुल 8000 ग्राउंड-लाइन किलोमीटर्स का सर्वे किया जा चुका है।

उन्होंने इस मिशन को भारत के इतिहास में एक सबसे बड़ा सिस्मिक मैपिंग प्रोग्राम बताया।

उन्होंने बताया था कि दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने के साथ हमारी मांग लगातार बढ़ती जा रही है। इसी क्रम में अगले दो दशकों में ग्लोबल एनर्जी मांग में वृद्धि को लेकर 25 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत की ओर से दर्ज किए जाने का अनुमान है।

केंद्रीय मंत्री के अनुसार भारत का लक्ष्य नए ऑयल और गैस फील्ड्स को खोजने, घरेलू उत्पादन को मजबूत बनाने, महंगे आयात पर से निर्भरता कम करने और भारत को ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाना है।


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