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सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर पर सुनवाई, जानें दलीलें

सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर पर सुनवाई, जानें दलीलें
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सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर पर सुनवाई

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर पर सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट उन पिटीशन पर सुनवाई कर रहा है, जिनमें इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया द्वारा अलग-अलग राज्यों के लिए घोषित इलेक्टोरल रोल के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) को चुनौती दी गई है।

चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच पिटीशनर्स की दलीलें सुन रही है।

पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्बल ने एक के बाद एक कई दलीलें पेश की और बीएलओ जिनपर घर-घर जाकर इस प्रक्रिया को पूरा करने की ज़िम्मेदारी है, उनके अधिकार क्षेत्र को लेकर सिब्बल ने कई सवाल किए थे।

उन्होंने कोर्ट में 2016 की हैंडबुक ऑफ़ नेशनल इलेक्टोरल रोल्स का ज़िक्र किया था, फिर 2003 के इलेक्टोरल रोल का भी ज़िक्र किया था। उन्होंने एक बार फिर इस बात पर ज़ोर दिया था कि बीएलओ किसी की नागरिकता कैसे तय करेंगे ? वह एक स्कूल में टीचर है। और लोगों से मांगे जा रहे दस्तावेज़ों को लेकर भी कहा था कि आखिर वो दस्तावेज़ कहाँ से लाएंगे.. इसपर कोर्ट ने कहा था कि उन लोगों को इलस्ट्रेटिव डॉक्यूमेंट्स पेश करने होंगे।

सिब्बल की दलीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमें देखना होगा कि एक्ट और उससे जुड़े कानूनों की नॉर्मेटिव स्कीम में, उन्होंने जो नोटिस दिया है, वह अल्ट्रा वायर्स है या नहीं।

( यानी अधिकार क्षेत्र में है या नहीं... इसके जवाब में सिब्बल ने आगे कहा कि )

कपिल सिब्बल ने कहा था कि डिसक्वालिफिकेशन का फैसला RP एक्ट (जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950) से होता है जबकि अनसाउंड माइंड का फैसला कोर्ट से होता है। रजिस्ट्रेशन, उम्र इसका आधार है। इसके उलट कोई भी बड़ा रिवीजन अल्ट्रा वायर्स होगा।

सिब्बल ने पूरे कानूनी तथ्यों के साथ अपनी बात कही थी साथ ही ये भी कहा कि स्कूल में एक टीचर को बीएलओ बनाकर नागरिकता पर विचार करने का अधिकार देना एक खतरनाक बात है। एक्ट की स्कीम के खिलाफ कोई भी बड़ा बदलाव गलत होगा। उन्होंने कोर्ट में बताया था कि आर्टिकल 327 के तहत संसद के पास कानून बनाने का अधिकार है।

इस बीच याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में अपनी दलीलें रखी, और कहा था कि चुनावों के कंडक्ट को रेगुलेट करने के ऑर्डर पास करने की आड़ में कमीशन, पूरी तरह से लेजिस्लेटिव एक्टिविटी अपने ऊपर नहीं ले सकता, जो संविधान की स्कीम के तहत, सिर्फ पार्लियामेंट और स्टेट लेजिस्लेचर के लिए रिज़र्व है। सिर्फ संविधान का हिस्सा होने से उसे लेजिस्लेचर के बनाए गए कानून के रेफरेंस के बिना अपनी मर्ज़ी से कानून बनाने की पूरी और एब्सोल्यूट पावर नहीं मिल जाएगी।

उन्होंने कोर्ट में बताया था कि एसआईआर एक सीमित चुनाव क्षेत्र में अलग-अलग/बाईलेटरल तरीके से रोल में बदलाव है, इसमें चुनाव आयोग के पास बड़े पैमाने पर कोई अधिकार नहीं है। अनुच्छेद 324 और 327 को लेकर कोर्ट में काफी बहस हुई थी, लेकिन अदालत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची थी सिंघवी ने कहा था कि जिस पावर पर उन्होंने भरोसा किया है वह 324 है, 324 को 327 में बने कानून ने हरा दिया है।

आप जानते हैं कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 327 संसद को कानून बनाने की शक्ति देता है। जबकि अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग की स्थापना की गई, और उसे चुनाव करवाने के लिए ज़रूरी शक्तियां दी गई।


Live Updates

  • 2 Dec 2025 3:58 PM IST

    ग्रोवर ने कहा

    प्रशांत भूषण ने अपनी बात रखी

  • 2 Dec 2025 3:57 PM IST

    ग्रोवर: नागरिकता पर शक से न सिर्फ़ वोट देने का अधिकार छीना जाएगा, बल्कि देश से बाहर भी किया जाएगा

  • 2 Dec 2025 3:36 PM IST

    डेव: उन्हें दिखाना होगा कि स्पीच के अलावा, मैंने कॉन्सपिरेसी के लिए कुछ और भी किया है। स्पीच के लिए मैं 4.5 साल तक कस्टडी में रहा। अब प्रॉसिक्यूशन को दिखाना होगा कि मैंने कॉन्सपिरेसी के लिए और क्या किया। मैं ज़रूर लोगों से मिला होगा, मैंने ज़रूर कुछ किया होगा।

  • 2 Dec 2025 3:35 PM IST

    ग्रोवर सवाल करते हैं कि अलग-अलग एन्यूमरेशन फॉर्म क्यों होने चाहिए, जबकि कानून के तहत समरी और इंटेंसिव रिवीजन करने के लिए दूसरे फॉर्म मौजूद हैं।

  • 2 Dec 2025 3:29 PM IST

    ग्रोवर: डॉक्यूमेंट्स के नेचर के अलावा, जो खुद ही प्रॉब्लम वाला है....फॉर्म 6...हर फॉर्म को लेजिस्लेटिव मंज़ूरी चाहिए, एन्यूरमेशन और डिक्लेरेशन फॉर्म ECI के बनाए हुए हैं जिनकी कोई कॉन्स्टिट्यूशनल पवित्रता नहीं है।

  • 2 Dec 2025 3:29 PM IST

    ग्रोवर: प्रैक्टिकल प्रोसीजर में क्या होता है, कितने लोग छूट जाते हैं? कितनी अपील होती हैं?.....यह कॉन्स्टिट्यूशनल स्कीम के खिलाफ है।

  • 2 Dec 2025 3:29 PM IST

    ग्रोवर: शादीशुदा महिलाओं के लिए परिवार की वंशावली लेने के लिए सरपंच के पास जाना प्रैक्टिकल नहीं है, SIR महिलाओं की स्थिति और लोगों के जीवन के अनुभवों में अंतर को ध्यान में नहीं रखता है।

  • 2 Dec 2025 3:28 PM IST

    ग्रोवर: 17 लाख से सिर्फ़ 49000 तक आना एक बड़ी गिरावट है, और यह सिर्फ़ 6 महीने के समय में हुआ है।

  • 2 Dec 2025 3:13 PM IST

    CJI: इसका कोई खास असर नहीं दिखता

    ग्रोवर: 6 महीने में इतनी औरतें शादी नहीं कर पाईं

  • 2 Dec 2025 3:13 PM IST

    ग्रोवर: जनवरी 2025 में ECI के समरी रिवीजन में महिलाओं को हटा दिया गया है....इसका जवाब सिर्फ़ SIR हो सकता है।

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