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जीएसटी के नाम पर करोड़ों रुपए की हेराफेरी करने वाले गिरोह का खुलासा, दो आरोपी गिरफ्तार

ग्रेटर नोएडा के थाना बिसरख पुलिस ने जीएसटी चोरी और फर्जी आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) क्लेम कर सरकार को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाने वाले संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है

ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा के थाना बिसरख पुलिस ने जीएसटी चोरी और फर्जी आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) क्लेम कर सरकार को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाने वाले संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस मामले में दो आरोपी प्रवीन कुमार और सतेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से फर्जी सील, मोहरें, आधार कार्ड, चेकबुक और खाता खोलने के फार्म सहित महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए हैं।

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि गिरोह ने बैंक ऑफ इंडिया की अलग-अलग शाखाओं में फर्जी दस्तावेजों की मदद से 6 फर्म खोलीं। जिन फर्मों के नाम थे, उनमें रिद्धि सिद्धि एंटरप्राइजेज, भवानी इम्पेक्स, झलक एंटरप्राइजेज, गौरव एंटरप्राइजेज, दामिनी इंडिया इंटरनेशनल और राधिका एंटरप्राइजेज शामिल थे। इन फर्मों के लिए फर्जी आधार, पैन कार्ड और रेंट एग्रीमेंट तैयार किए गए। एक ही आरोपी की फोटो अलग-अलग नाम और पते पर लगाई गई, ताकि पहचान न हो सके और बिना परेशानी बैंक खाते खुल सकें।

इन खातों के जरिए जीएसटी रिफंड के नाम पर अवैध रूप से करोड़ों रुपए स्थानांतरित किए जाते थे। कुल मिलाकर सिर्फ इन 6 फर्मों से 3 करोड़ 42 लाख से ज्यादा की रकम ट्रांसफर हुई। पुलिस सर्विलांस में पता चला कि गिरोह 9 अलग-अलग मोबाइल नंबरों से ओटीपी और वेरिफिकेशन कर रहा था, जो 18 आईएमईआई नंबरों पर चलते मिले। इन नंबरों से 85 फर्जी फर्मों का रजिस्ट्रेशन मिला और पिछले पांच साल में करीब 350 करोड़ रुपए के फर्जी बिल जारी किए गए।

इससे सरकार को करीब 51 करोड़ रुपए का टैक्स नुकसान बताया जा रहा है। गिरोह का पूरा कामकाज व्हाट्सएप कॉलिंग और ईमेल के जरिए होता था, ताकि फोन कॉल की लोकेशन और रिकॉर्ड ट्रेस न हो सके। फर्मों के रजिस्टर्ड पते पर सत्यापन करने पर कोई मौजूद नहीं मिला और सभी दस्तावेज कूटरचित पाए गए।

फर्जी फर्मों के बैंक खातों को पुलिस ने फ्रीज करा दिया है और अन्य खातों की जांच जारी है। पुलिस को शक है कि गिरोह का नेटवर्क नॉर्थ इंडिया सहित कई राज्यों में फैला हुआ है और इनके कई साथियों की तलाश अभी बाकी है। गिरफ्तार आरोपी की पहचान प्रवीन कुमार निवासी हापुड़ और सतेंद्र सिंह निवासी बुलंदशहर के रूप में हुई। दोनों पिछले कई वर्षों से इस धोखाधड़ी में शामिल बताए जा रहे हैं।


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