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प्रथम राष्ट्रीय प्राचार्य सम्मेलन का आयोजन: एनईपी 2020 के क्रियान्वयन, चुनौतियों और भावी दिशा पर विचार विमर्श

इस सम्मेलन का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में आ रही विभिन्न चुनौतियों, अवसरों और नीति के भविष्य के दिशा-निर्देशों पर विचार-विमर्श करना था। इस आयोजन ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नई दिशा में कदम बढ़ाने और सुधार की दिशा में आवश्यक कदम उठाने का मार्ग प्रशस्त किया।

प्रथम राष्ट्रीय प्राचार्य सम्मेलन का आयोजन: एनईपी 2020 के क्रियान्वयन, चुनौतियों और भावी दिशा पर विचार विमर्श
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नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्‍ठित दौलत राम कॉलेज द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) के सहयोग से 19 से 21 दिसंबर 2025 के बीच “प्रथम राष्ट्रीय प्राचार्य सम्मेलन – एनईपी 2020-क्रियान्वयन, चुनौतियां एवं भावी दिशा” का प्रभावशाली आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में आ रही विभिन्न चुनौतियों, अवसरों और नीति के भविष्य के दिशा-निर्देशों पर विचार-विमर्श करना था। इस आयोजन ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नई दिशा में कदम बढ़ाने और सुधार की दिशा में आवश्यक कदम उठाने का मार्ग प्रशस्त किया।

आयोजन का नेतृत्व और उद्घाटन सत्र
इस तीन दिवसीय सम्मेलन का संचालन महाविद्यालय की प्राचार्या एवं सम्मेलन संयोजिका प्रो. सविता रॉय के नेतृत्व में हुआ। उद्घाटन सत्र का आयोजन गरिमामय श्रद्धांजलि के साथ हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में मुकुल गुप्ता, जम्मू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. उमेश राय, उपाचार्या प्रो. प्रीति मल्होत्रा और आईक्यूएसी संयोजिका प्रो. पद्मश्री मुद्गल ने भाग लिया। इन विशिष्ट अतिथियों ने उच्च शिक्षा के वर्तमान परिदृश्य, नीति के क्रियान्वयन में आ रही बाधाओं और इनसे निपटने के उपायों पर अपने विचार व्यक्त किए।

सम्मेलन का उद्देश्य और सहभागिता
इस सम्मेलन में देशभर के 38 उच्च शिक्षण संस्थानों के प्राचार्यों और निदेशकों ने भाग लिया। इन प्रमुख नेताओं ने एनईपी 2020 के क्रियान्वयन के व्यावहारिक पहलुओं पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने संस्थागत विकास, शैक्षिक गुणवत्ता, भविष्य में सुधारात्मक कदम और भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली की प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। इस विमर्श का उद्देश्य नई नीतियों को सार्थक रूप से लागू कर, उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और नवाचार को बढ़ावा देना था।

विचार-विनिमय सत्र और मुख्य व्याख्यान
सम्मेलन के दौरान विविध सत्र आयोजित किए गए, जिनमें विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। मुख्य व्याख्यान में प्रो. उमेश राय ने ‘डिजाइन योर डिग्री’ पहल के अपने अनुभवों का साझा किया। उन्होंने बताया कि इस पहल का उद्देश्य छात्रों को अधिक व्यावहारिक और कौशलयुक्त शिक्षा प्रदान करना है।



संबंधित सत्रों में डॉ. अतुल कोठारी ने भारतीय ज्ञान परंपरा के समाकलन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ज्ञान परंपरा का समावेश आधुनिक शिक्षा में आवश्यक है। इसके अलावा, प्रो. रत्नाबली के., प्रो. पायल मागो, प्रो. मनोज सिन्हा, प्रो. बिजयालक्ष्मी नंदा, डॉ. ओंकार सिंह, प्रो. वी. के. मल्होत्रा जैसे विद्वानों ने भी अपने शोध, शोध-प्रक्रिया, नेतृत्व, संरचनात्मक चुनौतियों, शिक्षण गुणवत्ता, शोध एवं शिक्षण में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रभाव जैसे विषयों पर विचार प्रकट किए।

समापन सत्र और मुख्य अतिथि का संदेश
समापन सत्र की मुख्य अतिथि प्रो. कविता शर्मा ने भारतीय मनीषा पर आधारित शैक्षिक बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें उपनिवेशवादी दृष्टिकोण से मुक्त होकर, भारतीय परम्परा, संस्कार और ज्ञान को आधार बनाकर उच्च शिक्षा का पुनर्निर्माण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में नवाचार, नेतृत्व क्षमता और नीति की प्रगति ही भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत बना सकती है।

सम्मेलन का महत्त्व और भविष्य की दिशा
यह सम्मेलन न केवल ज्ञानवर्धक संवाद का माध्यम बना, बल्कि इससे जुड़े कार्यशाला और सुझावों ने एनईपी 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए एक नई कार्ययोजना का प्रस्ताव भी दिया। इस आयोजन ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार, नेतृत्व और नीतिगत सुधार की दिशा में मील का पत्थर स्थापित किया है। समापन के बाद प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और उच्च शिक्षा की चुनौतियों का सामना करने के लिए संकल्प लिया। यह आयोजन उच्च शिक्षा के भविष्य को मजबूत बनाने, नवाचार और नेतृत्व को प्रोत्साहित करने में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया है।

महत्वपूर्ण कदम
दौलत राम कॉलेज का यह प्रथम राष्ट्रीय प्राचार्य सम्मेलन उच्च शिक्षा क्षेत्र में बदलाव और सुधार के अभियान को नई ऊर्जा देने वाला साबित हुआ। इस आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए, सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा और नीति के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और समर्पण के साथ आगे बढ़ना चाहिए। आने वाले समय में इन विचारों और सुझावों को लागू कर, भारत की उच्च शिक्षा को विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का उद्देश्य है। यह सम्मेलन उच्च शिक्षा में नवाचार, नेतृत्व और नीतिगत प्रगति की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ, जो देश के शैक्षिक भविष्य की मजबूत नींव बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


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