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डॉ. हिफ्जुर रहमान लीबिया में भारत के राजदूत नियुक्त, ऊर्जा और तेल के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना होगी प्राथमिकता

भारत ने लीबिया में डॉ. हिफ्जुर रहमान को अपना राजदूत नियुक्त किया है। हिफ्जुर रहमान वर्तमान में चाड रिपब्लिक के भारतीय राजदूत हैं

डॉ. हिफ्जुर रहमान लीबिया में भारत के राजदूत नियुक्त, ऊर्जा और तेल के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना होगी प्राथमिकता
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नई दिल्ली। भारत ने लीबिया में डॉ. हिफ्जुर रहमान को अपना राजदूत नियुक्त किया है। हिफ्जुर रहमान वर्तमान में चाड रिपब्लिक के भारतीय राजदूत हैं। विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि वह जल्द ही अपनी जिम्मेदारी संभाल सकते हैं।

भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को डॉ. हिफ्जुर रहमान की नियुक्ति की है। उन्होंने मिडिल ईस्ट (सऊदी अरब, सीरिया और ट्यूनीशिया) में लंबे समय तक राजनयिक की जिम्मेदारी संभाली है। इस वजह से उन्हें अरब की राजनीति, संस्कृति और अर्थव्यवस्था की समझ है।

राजनयिक के साथ-साथ इनके पास प्रशासन, व्यापार, वाणिज्य और सांस्कृतिक अनुभव भी है, चूंकि वह चाड के भी राजदूत रह चुके हैं। ऐसे में उनके पास अफ्रीकी राजनीतिक व्यवस्था, सामाजिक-आर्थिक हालात, और भारत-अफ्रीका रिश्तों की गहराई से समझ है। हिफ्जुर रहमान इसका इस्तेमाल लीबिया और भारत के बीच संबंधों को मजबूत करने में लगा सकते हैं।

लीबिया में भारत की कई प्राथमिकताएं हैं, उनमें सबसे अहम वहां रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा है। इसके अलावा ऊर्जा और तेल के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाना भी भारत की प्राथमिकता है। बता दें, लीबिया अफ्रीका का बड़ा तेल उत्पादक देश है। ऐसे में भारतीय राजदूत का अनुभव तेल आयात में स्थिरता लाने में काम आ सकता है।

हालांकि, लीबिया में एक बड़ी चुनौती भी है। लीबिया की राजनीति में मिलिशिया और बाहरी हस्तक्षेप काफी ज्यादा होते हैं। ऐसे में भारत के लिए बड़ी चुनौती स्थिरता है। भारत के लिए ये अहम है कि इन हस्तक्षेपों के बावजूद भी वह अपनी रणनीतिक प्राथमिकताओं के अनुरूप काम करे।

कई भारतीय कंपनियां लीबिया में काम कर रही हैं। भारत की कंपनियों ने लीबिया में बुनियादी ढांचा, पावर सेक्टर, तेल-गैस, निर्माण, ऊर्जा, हाउसिंग, अस्पताल, स्कूल, सड़कों, ट्रांसमिशन लाइन्स समेत अन्य क्षेत्रों में काम किए हैं।

लीबिया में 2011–2019 के गृह संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता की वजह से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध कुछ खास नहीं हैं। हालांकि, 2024–2025 में दूतावास की फिर से शुरुआत और नागरिकों की वापसी को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के व्यापारिक संबंध में फिर से सुधार देखने को मिलेगा। अगर ऐसा होता है तो न केवल दोनों देशों के बीच नए समझौते होंगे, बल्कि पुराने प्रोजेक्ट्स को फिर से शुरू किया जा सकेगा।


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