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दिल्ली में पेट्रोल, सीएनजी वाहन भी हो सकते हैं महंगे, ग्रीन सेस लगाने पर सरकार कर रही विचार

दिल्ली में वाहन खरीदने वालों के लिए आने वाले महीनों में खर्च बढ़ सकता है। डीजल वाहनों पर पहले से लागू 1 प्रतिशत ग्रीन सेस (पर्यावरण शुल्क) को अब पेट्रोल और सीएनजी वाहनों पर भी लागू करने पर दिल्ली सरकार गंभीरता से विचार कर रही है।

दिल्ली में पेट्रोल, सीएनजी वाहन भी हो सकते हैं महंगे, ग्रीन सेस लगाने पर सरकार कर रही विचार
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नई दिल्ली: दिल्ली में वाहन खरीदने वालों के लिए आने वाले महीनों में खर्च बढ़ सकता है। डीजल वाहनों पर पहले से लागू 1 प्रतिशत ग्रीन सेस (पर्यावरण शुल्क) को अब पेट्रोल और सीएनजी वाहनों पर भी लागू करने पर दिल्ली सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। इस प्रस्ताव का मकसद राजधानी में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देना और प्रदूषण कम करना बताया जा रहा है। हालांकि सरकार ने साफ किया है कि अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है और जनता की राय को ध्यान में रखकर ही आगे कदम उठाया जाएगा।

नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति में हो सकता है प्रावधान

सूत्रों के मुताबिक, यह प्रस्ताव अप्रैल से लागू होने वाली दिल्ली सरकार की नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति में शामिल किया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो दिल्ली पेट्रोल और सीएनजी वाहनों के पंजीकरण पर ग्रीन सेस लगाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। बताया जा रहा है कि हाल ही में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई इलेक्ट्रिक वाहन नीति से जुड़ी बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई है।

बैठक में डीजल के साथ-साथ पेट्रोल और सीएनजी गाड़ियों की खरीद पर 1 से 2 प्रतिशत तक ग्रीन सेस लगाने के प्रस्ताव पर मंथन किया गया। हालांकि सरकार यह भी देख रही है कि इसका आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा, क्योंकि यह फैसला सीधे तौर पर मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को प्रभावित करेगा।

ईंधन पर सेस लगाने का विकल्प भी चर्चा में

सरकार के सामने एक दूसरा विकल्प भी है। सूत्रों के अनुसार, वाहनों के पंजीकरण पर ग्रीन सेस लगाने के बजाय पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर 25 से 50 पैसे का अतिरिक्त पर्यावरण शुल्क लगाया जा सकता है। इस विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है ताकि बोझ को एकमुश्त वाहन खरीद के बजाय धीरे-धीरे विभाजित किया जा सके।

इसके अलावा दिल्ली में नई गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन के समय लगने वाले वन टाइम पार्किंग चार्ज को बढ़ाने का प्रस्ताव भी सामने आया है। फिलहाल यह शुल्क 2000 से 4000 रुपये के बीच है। अगर इसमें बढ़ोतरी होती है तो नई गाड़ी खरीदना और महंगा हो सकता है।

सर्वे के बाद ही होगा अंतिम फैसला

दिल्ली सरकार से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि पेट्रोल और सीएनजी वाहनों पर ग्रीन सेस लगाना एक संवेदनशील मुद्दा है। इसलिए सरकार इस पर कोई भी फैसला लेने से पहले आंतरिक सर्वे कराने पर विचार कर रही है। इस सर्वे के जरिए यह जानने की कोशिश होगी कि इस कदम का जनता पर क्या असर पड़ेगा और लोग इसे किस रूप में देखते हैं। एक अधिकारी के अनुसार, नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति में यह प्रस्ताव जरूर आया है कि ईवी को आकर्षक बनाने के लिए परंपरागत ईंधन से चलने वाले वाहनों को अपेक्षाकृत महंगा किया जाए, लेकिन फिलहाल इस पर अंतिम सहमति नहीं बनी है।

दिल्ली में तेजी से बढ़ रहे इलेक्ट्रिक वाहन

दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब तक राजधानी में पांच लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हो चुके हैं। साल 2025 में अब तक कुल 8.11 लाख गाड़ियों का पंजीकरण हुआ है, जिनमें से 1.11 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन हैं।

पिछले वर्षों के आंकड़े देखें तो 2024 में करीब 80 हजार, 2023 में 77 हजार, 2022 में 63 हजार और 2021 में 35,444 इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हुए थे। नई ईवी नीति में 10 साल से पुराने वाहनों के पीयूसी (प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र) की जांच के दौरान भी ग्रीन सेस लगाने का प्रस्ताव रखा गया है।

विशेषज्ञों की राय: समाधान नहीं

दिल्ली परिवहन विभाग के पूर्व उपायुक्त अनिल छिकारा का कहना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना सरकार का अच्छा कदम है, लेकिन इसके लिए अन्य ईंधन से चलने वाले वाहनों को महंगा करना सही तरीका नहीं है। उनके मुताबिक, इससे आम जनता पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि अगर सरकार निजी वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करना चाहती है, तो उसे वाहन सब्सिडी देने के बजाय लास्टमाइल कनेक्टिविटी को मजबूत करना चाहिए। जब सार्वजनिक परिवहन इतना सुलभ और भरोसेमंद होगा कि लोग अपने वाहन घर पर छोड़ने को मजबूर हो जाएं, तभी ट्रैफिक और प्रदूषण दोनों में कमी आएगी। फिलहाल, सरकार जनता की प्रतिक्रिया और सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही यह तय करेगी कि ग्रीन सेस का प्रस्ताव नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति का हिस्सा बनेगा या नहीं।


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