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मनरेगा मजदूरों की आवाज बनेगी कांग्रेस : दीपेंद्र हुड्डा

कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने दावा किया है कि उनकी पार्टी मनरेगा के मजदूरों की आवाज बनेगी और देशभर में जी राम जी कानून को लेकर विरोध जताएगी

मनरेगा मजदूरों की आवाज बनेगी कांग्रेस : दीपेंद्र हुड्डा
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सरकार पर हमला- मनरेगा को कमजोर करने का आरोप, बजट कटौती पर उठे सवाल

  • अधीर रंजन चौधरी बोले: देशभर में होगा विरोध प्रदर्शन
  • नसीर हुसैन का दावा- गांव-गांव तक पहुंचेगा कांग्रेस का आंदोलन

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने दावा किया है कि उनकी पार्टी मनरेगा के मजदूरों की आवाज बनेगी और देशभर में जी राम जी कानून को लेकर विरोध जताएगी।

शनिवार को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक हुई। इस बैठक में दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी शामिल हुए।

मीटिंग के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने जी राम जी कानून और मनरेगा पर अपनी बात रखी। कहा कि सरकार ने धीरे-धीरे मनरेगा योजना को कमजोर किया है और इसका बजट कम कर दिया है। अब, एक बड़े झटके के तौर पर, सरकार ने मनरेगा में अपना योगदान भी वापस ले लिया है। देश भर के सभी मनरेगा मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए कांग्रेस पार्टी आगे आएगी। किसी भी योजना को सरकार की राजनीतिक दुश्मनी का शिकार नहीं बनने दिया जाएगा।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कांग्रेस पहले ही चिंता जता चुकी है और कहा है कि वह मनरेगा के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करेगी। मनरेगा को खत्म करने के विरोध में प्रदर्शन किए जाएंगे, क्योंकि यह गरीबों के अधिकारों का उल्लंघन है।

कांग्रेस नेता माणिकराव ठाकरे ने कहा कि मनरेगा, जो महात्मा गांधी की रोज़गार गारंटी योजना थी, उसे हमारे नेताओं सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में लोगों को कानूनी तौर पर दिया था। इसने गरीब और मेहनतकश नागरिकों को अधिकार दिया। सोनिया गांधी ने यह सुनिश्चित किया कि यह अधिकार मेहनतकश और वंचित वर्गों को मिले। हालांकि, पीएम मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने इस अधिकार को पूरी तरह से छीनने का काम किया है।

कांग्रेस नेता नसीर हुसैन ने कहा कि क्योंकि एजेंडा मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम पर केंद्रित था, इसलिए सभी राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई। मनरेगा के खिलाफ जो कार्रवाई की जा रही है, उससे गरीब मजदूरों की रोज़ी-रोटी पर असर पड़ रहा है, क्योंकि इस योजना को कमजोर किया जा रहा है, जिससे उनकी बुनियादी ज़रूरतों पर असर पड़ रहा है। नए एक्ट पर विस्तार से चर्चा हुई। मनरेगा को लेकर गांव-गांव तक अपने आंदोलन को लेकर जाएंगे।


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