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दिल्ली ब्लास्ट पर कांग्रेस नेताओं का सवाल, भाजपा के कार्यकाल में ही क्यों बढ़ जाती हैं ऐसी घटनाएं?

दिल्ली ब्लास्ट को लेकर विपक्षी दलों ने केंद्र पर तीखा हमला बोला है और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं

दिल्ली ब्लास्ट पर कांग्रेस नेताओं का सवाल, भाजपा के कार्यकाल में ही क्यों बढ़ जाती हैं ऐसी घटनाएं?
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नई दिल्ली। दिल्ली ब्लास्ट को लेकर विपक्षी दलों ने केंद्र पर तीखा हमला बोला है और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता उदित राज ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, "मुद्दे से भटकने की कोशिश मत कीजिए। अगर आतंकवादी हैं, तो उनके संबंध बाहरी आतंकी संगठनों से हैं। यह खुद सरकार मान चुकी है। सवाल यह है कि ऐसी घटनाएं बार-बार इनके कार्यकाल में ही क्यों होती हैं? जवाब दीजिए कि ऐसा क्यों होता है?"

उन्होंने कहा, "देश में हुए कई बड़े आतंकी हमले भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए हैं। उरी, पहलगाम, पुलवामा, अब लाल किला धमाका और इससे पहले कंधार की घटना। आखिर आतंकवादी गतिविधियां तब ही क्यों बढ़ जाती हैं, जब भाजपा सत्ता में होती है?"

वहीं, कांग्रेस नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने भी केंद्र की एजेंसियों पर निशाना साधते हुए कहा, "जिस गाड़ी में विस्फोटक भरा था, वह दिल्ली तक कैसे पहुंच गई? एजेंसियां क्या कर रही थीं? यह पहली बार नहीं हुआ है। पहलगाम में भी आतंकी आए, आतंक फैलाया और चार घंटे में पाकिस्तान लौट गए। यह हमारी खुफिया व्यवस्था की नाकामी है।"

उन्होंने कहा, "उस वक्त सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया था। लेकिन, सीजफायर किसने घोषित किया? डोनाल्ड ट्रंप ने। यह दुनिया के लिए शर्मनाक संदेश है कि हमारे देश में आतंकी हमला हुआ और युद्धविराम की घोषणा अमेरिका का राष्ट्रपति करता है। हमारी सेना ने सीजफायर किया होता तो यह देश की ताकत दिखाता, लेकिन अब तो विदेशी राष्ट्रपति हमारी नीतियां तय कर रहे हैं। ऊपर से वही अमेरिका भारत पर टैरिफ भी लगाता है।"

सिद्दीकी ने बिहार चुनाव को लेकर जारी एग्जिट पोल पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, "शुक्रवार को नतीजे आने वाले हैं और एग्जिट पोल में एनडीए को बहुमत दिखाया गया है। लेकिन, यह सब सिर्फ दिल बहलाने के लिए किया गया है, हकीकत कुछ और ही है। जनता ने बदलाव के लिए वोट किया है।"

इसके साथ ही उन्होंने 12 राज्यों में चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई एसआईआर प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यह संवैधानिक अधिकारों को छीनने की कोशिश है। एसआईआर का इस्तेमाल राजनीतिक दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है।


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