महिलाओं द्वारा, महिलाओं के लिए: दिल्ली का नेचर एक्सपीरियंस
रमा लक्ष्मी और निधि बत्रा नियमित रूप से केवल महिलाओं के समूहों को नेचर वॉक पर ले जाती हैं. इसका मकसद दिल्ली के इकोसिस्टम के बारे में जागरुकता बढ़ाना और साथ ही महिलाओं को आपस में जोड़ना भी है

रमा लक्ष्मी और निधि बत्रा नियमित रूप से केवल महिलाओं के समूहों को नेचर वॉक पर ले जाती हैं. इसका मकसद दिल्ली के इकोसिस्टम के बारे में जागरुकता बढ़ाना और साथ ही महिलाओं को आपस में जोड़ना भी है.
हरिनी कपूर पिछले एक साल से 'वीमेन एंड विल्डरनेस' ग्रुप के साथ जुड़ी हैं. यह महिलाओं का एक समूह है, जो दिल्ली के जंगल, पहाड़ और प्रकृति को देखने और जानने का मौका देता है. किसी भी उम्र की महिलाएं और नॉन-बाइनरी लोग इसका हिस्सा बन सकते हैं.
पेशे से म्यूजिक टीचर हरिनी अक्सर नेचर वॉक पर जाती हैं. वे कहती हैं, "मुझे ऑल वीमेन वॉक का कांसेप्ट बहुत पसंद आया. मिक्स ग्रुप में अक्सर पुरुषों की संख्या महिलाओं से ज्यादा होती है. वे इन जगहों को डोमिनेट करते हैं. लेकिन जब आप सिर्फ महिलाओं के समूह के साथ होती हैं, तो एक अलग ही सुकून महसूस होता है. झिझक कम होती है. आप खुलकर बात करती हैं. यहां दोस्त बनते हैं."
वीमेन एंड विल्डरनेस की शुरुआत नेचर एजुकेटर रमा लक्ष्मी और अर्बन एन्वायरमेंटल डिजाइनर निधि बत्रा ने वर्ष 2024 में की. दोनों की मुलाकात गुरुग्राम में एक नेचर वॉक के दौरान ही हुई थी. वे एक दूसरे की अच्छी दोस्त बन गईं. रमा और निधि कई वर्षों से अरावली बायोडायवर्सिटी पार्क जा रही हैं. उन्होंने लंबे समय तक पौधों की अनेकों प्रजातियों के बारे में जाना और सीखा.
रमा लक्ष्मी डीडब्ल्यू को बताती हैं, "मुझे और निधि को लगा कि इस ज्ञान को हमें अन्य महिलाओं तक भी पहुंचाना चाहिए. महिलाओं को जागरूक बनाने के लिए नेचर वॉक एक प्रभावी तरीका है. जब वे पौधों, पक्षियों और बदलते मौसम को पास से देखती हैं, तो जलवायु परिवर्तन को समझना आसान हो जाता है. केवल महिला वाले समूह में वे बिना झिझक के सवाल पूछती हैं. यहां कोई विषय से नहीं भटकता.”
प्रकृति के करीब लाती है नेचर वॉक
निधि बताती हैं कि उनका उद्देश्य महिलाओं को घर से निकालकर, उनके जैसी और महिलाओं के साथ प्रकृति को अनुभव करने के लिए प्रेरित करना है. दिल्ली देश का सबसे हरा-भरा, फिर भी सबसे प्रदूषित शहर है. ऐसे में उसके हरित क्षेत्रों की कहानियां महिलाओं तक पहुंचाना ही 'वीमेन एंड विल्डरनेस' का मकसद बन गया.
निधि डीडब्ल्यू से कहती हैं, "आज हर दिन पर्यावरण नई चुनौतियों का सामना कर रहा है. जंगल काटे जा रहे हैं. बढ़ती गर्मी, वायु प्रदूषण और पानी की कमी का सबसे पहले और सीधा असर महिलाओं के स्वास्थ्य और रोजमर्रा के कामों पर पड़ता है. इसलिए उनको जलवायु परिवर्तन और प्रकृति के बारे में बताना बहुत जरूरी है. महिलाएं ध्यान से सुनती और समझती हैं. फिर जो वो सीखती हैं, उसे अपने परिवार को भी सिखाती हैं.”
इस नेचर वॉक की एक खासियत यह भी है कि इस दौरान जलवायु परिवर्तन पर विशेष बातचीत होती है. रमा बताती हैं, "अरावली में उगने वाला पलाश के पेड़ का उपयोग होली के रंग बनाने में होता है. लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से यह अब मार्च के बजाय काफी देर में उगने लगा है. महिलाओं को ये फैक्ट्स पता हों, तो वे कदम उठा सकती हैं.”
यह समूह बाकियों से अलग
यह समूह हर महीने वीकेंड पर मिलकर, अरावली बायोडायवर्सिटी पार्क, संजय वन, वसंत विहार और हौज खास के इलाकों में जाता है. रमा और निधि कुतुब मीनार और मंगर बानी में भी नेचर वॉक आयोजित करती हैं, जहां प्रकृति और विरासत पर चर्चा होती है.
अपने दो वर्षों के सफर में आज वीमेन एंड विल्डरनेस 250 महिलाओं की एक कम्युनिटी बन चुकी है. अधिकतर महिलाएं सोशल मीडिया पर उनसे जुड़ती हैं. हर बार केवल 20 से 25 महिलाओं का ही समूह वॉक पर जाता है. इसमें 15 वर्ष की लड़कियों से लेकर 45 वर्ष की महिलाएं शामिल होती है. वीमेन एंड विल्डरनेस का मानना है कि छोटे समूह में महिलाएं थमकर और ध्यान से प्रकृति को देखती हैं. वॉक के साथ वे प्रकृति से जुड़े खेल जैसे ट्री शराड्स भी खेलते हैं.
हरिनी का मानना है कि महिलाएं प्रकृति का साक्षात्कार और खोज अपने ढंग से करती हैं. वह डीडब्ल्यू से कहती हैं, "इस अनोखी नेचर वॉक पर हम महिलाएं इंसान और हजारों दूसरी प्रजातियों के रिश्ते के बारे में बात करती हैं. मुझे देसी पौधों की समझ बढ़ी है. हाल ही में नेचर वॉक पर मैंने आंख या आक के पौधे के बारे में जाना. यह हाईवे के किनारे उगता है. इसे झाड़ समझकर हटा दिया जाता है. जबकि तितली इसके पत्तों पर अंडे देती है. कैटरपिलर इसकी पत्तियां खाता है. मुझे यह बहुत दिलचस्प लगा. मैंने आक का पौधा घर पर लगाया. कुछ हफ्तों बाद उस पर तितलियां बैठने लगीं और कैटरपिलर दिखाई दिए."
अपना 'सेफ स्पेस' बना रही हैं महिलाएं
जब समूह में केवल महिलाएं होती हैं तो उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है. हरिनी ऐसा ही एक रोचक किस्सा सुनाती हैं. अरावली बायोडायवर्सिटी पार्क में लगभग 60 बाइकर्स का एक समूह गुजर रहा था. वे लोग शोर कर रहे थे. हरिनी आगे बताती हैं, "सभी पुरुष थे. वे बहुत शोर कर रहे थे, जबकि ऐसी जगह शांत होनी चाहिए. हम चार महिलाएं उनके पास गईं और उन्हें ऐसा न करने को कहा. अगर मैं महिलाओं के समूह में नहीं होतीं, तो शायद मुझमे जाकर विरोध करने की हिम्मत भी नहीं आती."
लैंडस्केप और पर्माकल्चर डिजाइनर दिव्या जाखर का कहना है कि इस तरह की नेचर वॉक महिलाओं को एक 'सेफ स्पेस' देती है. मिक्स ग्रुप में कुछ बोलने से पहले दूसरों के रिएक्शन के बारे में सोचना पड़ता है. लेकिन यहां अन्य महिलाओं के साथ अपनापन और जुड़ाव महसूस होता है. साथ ही यह सार्वजनिक हरित क्षेत्रों पर अपना अधिकार फिर से स्थापित करने का तरीका भी है. हाल ही में 12 दिसंबर को महिलाओं का ये समूह अरावली बायोडायवर्सिटी पार्क गया, जिसमें दिव्या जाखर भी शामिल हुईं.
दिव्या डीडब्ल्यू से बातचीत में कहती हैं, "आप कितनी बार महिलाओं को किसी पार्क में समय बिताते और चर्चा करते देखते हैं? यह कोई बॉटनी क्लास नहीं है. हम कहानियों के जरिए प्रकृति के बारे में समझते हैं. इसे जिम्मेदारी से अपनाने की कोशिश करते हैं. कुछ नया जानते हैं. जैसे कदंब कृष्ण का प्रिय वृक्ष माना जाता है. यहीं कैम या देसी कदंब अरावली पर उगता है. मुझे यह पहले नहीं पता था.”
महिलाएं अपने घरों में उगाए गए पौधों और उनके बीज दूसरों के साथ बांटती हैं, जिससे सभी को इन पौधों के महत्व और उनकी देखभाल के बारे में जानकारी मिलती है.
रमा बताती हैं, "मैं हमेशा महिलाओं को प्रेरित करती हूं कि वे वज्रदंती और शतावरी जैसे देसी पौधे अपने घरों में लगाएं, क्योंकि इनके फूलों पर तितलियां आती हैं. मैं अपने बगीचे में उगाए छोटे पौधे और उनके बीज इकट्ठा कर अन्य महिलाओं को देती हूं और वे अगली नेचर वॉक पर अपने पौधों के बीज सभी के साथ बांटती हैं. यह महिलाओं के बीच साझेदारी और अनुभवों को साझा करने का जरिया है."


