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सेंगर की जमानत पर भड़कीं वृंदा करात - ‘जजों की सोच में सुधार जरूरी’

उन्नाव रेप केस में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत मिलने पर सीपीआई (एम) की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है

सेंगर की जमानत पर भड़कीं वृंदा करात - ‘जजों की सोच में सुधार जरूरी’
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उन्नाव केस पर सीपीआई (एम) नेता का हमला, न्यायिक संवेदनशीलता की कमी बताई

  • वृंदा करात का आरोप – भाजपा ने अपराधी को दिया संरक्षण
  • हाई कोर्ट के फैसले से महिलाओं के संघर्ष को बड़ा नुकसान: करात
  • ‘नाबालिग के रेप के दोषी को जमानत कैसे?’ - न्याय व्यवस्था पर उठे सवाल

नई दिल्ली। उन्नाव रेप केस में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत मिलने पर सीपीआई (एम) की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सबसे पहला और जरूरी सुधार न्यायपालिका और जजों की सोच में होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि देश में कानूनों का ढांचा भले ही मजबूत हो, लेकिन अगर जज अब भी मनुवादी सोच से प्रभावित हों या ऐसे सिस्टम में काम कर रहे हों, जहां महिलाओं के लिए न्याय प्राथमिकता न हो, तो केवल कानूनी सुधारों से समाधान नहीं निकल सकता। उन्होंने कहा कि खासकर महिलाओं के खिलाफ होने वाले जघन्य अपराधों में न्यायिक संवेदनशीलता बेहद जरूरी है।

वृंदा करात ने इस मामले में भारतीय जनता पार्टी पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि शुरुआत से ही इस अपराधी को उसकी पार्टी भाजपा ने संरक्षण दिया। उन्होंने कहा कि पीड़िता के परिवार और उनके समर्थन में खड़े महिला संगठनों को न्याय के लिए लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा। अंततः जनता के गुस्से और दबाव ने ही प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को सेंगर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया।

सीपीआई (एम) नेता ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इस फैसले ने रेप और यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के वर्षों के संघर्ष को बड़ा नुकसान पहुंचाया है।

उन्होंने कहा कि महिलाओं की कानूनी सुरक्षा को लेकर जो उपलब्धियां पिछले वर्षों में हासिल की गई थीं, सेंगर जैसे मामलों में दिए गए फैसले उन्हें कमजोर करते हैं।

वृंदा करात ने सवाल उठाते हुए कहा कि कोई अदालत आखिर किस आधार पर नाबालिग के रेप और पीड़िता के पिता की हत्या के दोषी को जमानत दे सकती है। उन्होंने इसे न्याय व्यवस्था के लिए बेहद चिंताजनक बताया और कहा कि ऐसे फैसलों से पीड़ितों का न्याय व्यवस्था से भरोसा उठता है।


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