अमित शाह ने पीएम-सीएम और मंत्रियों को हटाने से जुड़े 3 बिलों को लोकसभा में किया पेश
केंद्र सरकार के एक और बिल से सियासी घमासान मच गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पीएम-सीएम और मंत्रियों को हटाने से जुड़े 3 बिलों को पेश किया। इस बिल के विरोध में विपक्ष ने जोरदार प्रदर्शन किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही दोपहर 3 बजे तक स्थगित कर दी गई

सरकार के नए बिल मचा बवाल, पीएम समेत कई मंत्रियों की जा सकती है कुर्सी ?
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के एक और बिल से सियासी घमासान मच गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पीएम-सीएम और मंत्रियों को हटाने से जुड़े 3 बिलों को पेश किया। इस बिल के विरोध में विपक्ष ने जोरदार प्रदर्शन किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही दोपहर 3 बजे तक स्थगित कर दी गई।
इस बिल में प्रावधान हैं कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री ऐसे गंभीर अपराधों में गिरफ्तार किए जाते हैं, जिनमें कम से कम पांच साल की जेल हो सकती है और उन्हें लगातार 30 दिन हिरासत में रखा जाता है, तो 31वें दिन उन्हें पद से हटा दिया जाएगा।
केंद्र सरकार के मुताबिक, अभी केंद्र शासित प्रदेशों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए, ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 की धारा 45 में संशोधन की ज़रूरत है। इस बिल पर विपक्ष की ओर बयान आने शुरू हो गए हैं. समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव का कहना है कि जिन राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्री नहीं हैं। उन्हीं के लिए ये बिल है।
सपा सांसद ने संसद में विपक्ष की आवाज़ दबाने के आरोप लगते हुए कहा कि संसद में तो लोग मुँह ही नहीं खोल पाते, ऐसे में ये बिल आसानी से पास हो जायेगा।
इस बिल को लेकर और भी विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आयी है। TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इस पर बयान दिया है। उन्होंने एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा- 'विपक्ष की भविष्यवाणी सच होती दिख रही है - भाजपा 240 सांसदों के साथ संविधान में बदलाव कर रही है। नया बिल संघीय ढांचे और न्यायपालिका दोनों को दरकिनार करता है - केंद्र सरकार ईडी, सीबीआई का उपयोग करके विपक्षी दलों के निर्वाचित मुख्यमंत्रियों को नकली आरोपों में गिरफ्तार कर सकती है और उन्हें अदालत द्वारा दोषी साबित हुए बिना बर्खास्त कर सकती है।'
ये बिल पेश होने से पहले से ही विरोध का विषय बना हुआ है। विपक्ष, सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ये बिल सिर्फ विपक्ष के नेताओं को कुर्सी से हटाने के लिए ला रही है और ये बिल उन्ही राज्यों के मंत्रियों पर लागू होगा जहाँ बीजेपी की सरकार नहीं है।


