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दिल्ली महिला आयोग ने अस्पताल व पुलिस को भेजा नोटिस

दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली के बवाना में एक 7 साल की बच्ची के बलात्कार के मामले में दिल्ली पुलिस और अस्पताल को नोटिस जारी किया है

दिल्ली महिला आयोग ने अस्पताल व पुलिस को भेजा नोटिस
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नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली के बवाना में एक 7 साल की बच्ची के बलात्कार के मामले में दिल्ली पुलिस और अस्पताल को नोटिस जारी किया है। दिल्ली महिला आयोग ने मीडिया की खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए बाहरी-उत्तरी जिले के पुलिस उपायुक्त और महर्षि वाल्मीकि अस्पताल के चिकित्सीय अधीक्षक को नोटिस भेजा है।

मीडिया ख़बरों के मुताबिक बच्ची की चिकित्सीय जांच के लिए उसको किंग्सवे कैंप स्थित महर्षि वाल्मीकि अस्पताल ले जाया गया था, जहां पीड़िता को कई घंटे तक इंतज़ार करवाया गया। खबरों में यह भी बताया गया कि अस्पताल में बच्ची के इलाज के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी जिस वजह से उसको कई घंटों के इंतज़ार के बाद दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया गया। आयोग ने इस मामले को गंभीर बताते हुए अस्पताल से सफाई मांगी है। आयोग ने पूछा है कि बच्ची की चिकित्सीय जांच क्यों नहीं की गई और उसको लम्बे समय तक इंतज़ार क्यों करवाया गया। इसके अलावा आयोग ने अस्पताल से पीड़ित बच्ची का इलाज़ न करने और उसको दूसरे अस्पताल में रेफर करने के कारणों की जानकारी मांगी है। साथ ही आयोग ने पूछा है कि अस्पताल में इतनी सुविधाएं क्यों नहीं हैं जिस वजह से पीड़िता का इलाज नहीं किया जा सका।

आयोग ने इस मामले में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाया है। आयोग ने लिखा है कि पीड़िता के बयान दर्ज करने के समय दिल्ली पुलिस ने आयोग की सीआईसी/आरसीसी काउंसलर को सूचना नहीं दी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने डब्लू पी (सीआरएल) 696/2008 में आदेश दिया था कि बलात्कार की शिकायत मिलने पर थाने में तैनात ड्यूटी अफसर तुरंत दिल्ली महिला आयोग के बलात्कार पीड़िता सहायता केंद्र को सूचना देगा। इसके अलावा आयोग को मीडिया रिपोर्ट के द्वारा सूचना मिली कि पुलिस बच्ची को ऐसे अस्पताल में ले कर गयी जहां पर वन स्टॉप सेंटर की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। इस वजह से पीड़ित बच्ची को इलाज मिलने में कई घंटों की देरी हुई। आयोग ने कहा कि अगर पुलिस इस बारे में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशानुसार दिल्ली महिला आयोग को समय से सूचना दे देती तो काउंसलर बच्ची के पास समय पर पहुंच जाती जिससे इस स्थिति से बचा जा सकता था।आयोग ने पुलिस से सफाई मांगी है और पूछा है कि उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशानुसार आयोग के बलात्कार पीड़िता सहायता केंद्र को सूचना क्यों नहीं दी?


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