दिल्ली हिंसा: योगेंद्र यादव, सिरसा समेत 20 किसान नेताओं को दिल्ली पुलिस का नोटिस, 3 दिन में मांगा जवाब
गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद अब दिल्ली पुलिस एक्शन में है

नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद अब दिल्ली पुलिस एक्शन में है। आज गुरुवार को दिल्ली पुलिस ने 20 से अधिक किसान नेताओं को नोटिस भेजा है। जी हां 20 ऐसे किसान जो इन आंदोलन को प्रमुख चेहरा है उनको दिल्ली पुलिस ने नोटिस जारी किया है और उनसे तीन दिन के अंदर जवाब मांगा है। गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने पहले 37 किसान नेताओं को रैली की शर्तें तोड़ने का आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ FIR दर्ज की। फिर देर रात 20 किसान नेताओं को नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए, 3 दिन में इसका जवाब दें।
जिन 20 किसान नेताओं को पुलिस ने नोटिस भेजा है उनमें 4 के नाम अभी तक सामने आए हैं। ये नेता हैं योगेंद्र यादव, दर्शन पाल, बलदेव सिंह सिरसा और बलबीर सिंह राजेवाल। पुलिस ने इन किसान नेताओं से 26 जनवरी को लाल किले पर हुे उपद्रव के सिलसिले में जवाब तलब किया है। बता दें कि दिल्ली पुलिस से लेकर गृह मंत्रालय इस मामले में गंभीर हैं। जहां पुलिस ने नोटिस भेजा है वहीं गृह मंत्रालय ने किसान नेताओं के लिए लुक आउट नोटिस जारी करने का आदेश दे दिया है। कल बुधवार को खुद गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की थी और पूरे मामले पर संज्ञान लिया था।
आज गृह मंत्री अमित शाह दिल्ली के उन अस्पतालों का दौरा करेंगे जिसमें इस हिंसा के दौरान घायल हुए पुलिस के जवान भर्ती हैं। अमित शाह इनसे मिलकर इनका हाल जानेंगे। आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस ने लाल किले से लेकर सरकारी प्रॉपर्टी को कितना नुकसान पहुंचाया गया है सबकी रिपोर्ट जारी कर दी है और अब उपद्रवियों की शिनाख्त कर रही है। बता दें कि दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने कहा कि एनएच-24 खोल दिया गया है, जिससे दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाला रूट बहाल हो गया है।
वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार पर एक और आरोप लगाया है। गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने देर रात उनकी बिजली काट दी। किसानों को रात भर यह डर सताता रहा कि पुलिस देर रात पुलिस कार्रवाई कर सकती है। हालांकि, पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। आंदोलन स्थल पर राकेश टिकैत ने कहा कि इस बाबत वह प्रशासन से बात करेंगे। उन्होंने कहा कि यह वैचारिक क्रांति है, यह खत्म नहीं होगी।
आपको बता दें कि हिंसा के बाद अब किसान आंदोलन में भी दरार पड़ गई है। करीब दो महीने से आंदोलन कर रहे दो किसान संगठनों ने इस आंदोलन से अपना नाम कल वापस ले लिया था। जी हां भारतीय किसान यूनियन (भानू) और वीएम सिंह आंदोलन खत्म कर चुके हैं।


