दिल्ली : बालगृहों को लेकर केजरीवाल के बयान पर एनसीपीसीआर को आपत्ति, जल्द भेजेगा नोटिस
दिल्ली विधानसभा में शनिवार को बजट 2022-23 पेश किया गया। बजट पेश किए जाने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक बयान "दिल्ली के बालगृहों में बच्चों का खयाल नहीं रखा जाता एवं वे भागने को मजबूर हो जाते हैं" पर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने आपत्ति जताई है

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में शनिवार को बजट 2022-23 पेश किया गया। बजट पेश किए जाने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक बयान "दिल्ली के बालगृहों में बच्चों का खयाल नहीं रखा जाता एवं वे भागने को मजबूर हो जाते हैं" पर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने आपत्ति जताई है। आयोग इस मसले को गंभीरता लेते हुए जल्द ही मुख्य सचिव को नोटिस भेजने की तैयारी में जुट गया है। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने आईएएनएस को बताया, "दिल्ली के चिल्ड्रन होम्स से बच्चे भाग जाते हैं और उनकी कोई देखरेख नहीं करता- जब एक मुख्यमंत्री खुद यह बात स्वीकार कर रहा है कि दिल्ली के चिल्ड्रन होम्स की हालत खराब है, तो हम जरूर मुख्य सचिव को जरूर नोटिस भेजेंगे और जवाब मांगेंगे।"
इससे पहले राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा, "माननीय सर्वोच्च न्यायालय नवंबर माह से बार-बार लगातार सड़क पर रह रहे बच्चों को पुनर्वासित करने का निर्देश दे रहा है, लेकिन दिल्ली सरकार की अकर्मण्यता के कारण केवल 1800 बच्चों को प्रक्रिया में लाया गया है।"
उन्होंने कहा, "दिल्ली की सड़कों पर रह रहे 73000 बच्चों की जानकारी दिल्ली सरकार को 2 साल पहले दी गई थी, जिसमें से एक भी बच्चे को पुनर्वासित नहीं किया गया। इसके लिए की गई समीक्षा बैठकों से दिल्ली सरकार गायब रही। न्यायालय के इस संबंध में नीति बनाने के निर्देश का आज तक पालन नहीं हुआ। अब जबकि सोमवार को माननीय न्यायालय में इस मामले की सुनवाई है, तब अरविंद केजरीवाल झूठ बोल रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "मुख्यमंत्री की सार्वजनिक स्वीकारोक्ति कि 'दिल्ली के बालगृहों में बच्चों का खयाल नहीं रखा जाता और वे भागने को मजबूर हो जाते हैं' को आयोग ने बेहद गंभीरता से लिया गया है व नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण एवं कार्यवाही का विवरण मांगा जा रहा है।"
बजट पेश किए जाने के बाद सीएम केजरीवाल ने कहा, "जब आप ट्रैफिक लाइट पर रुकते हो, तो आपकी कार की खिड़की के पास आकर कोई बच्चा खटखटाता है और वो आपसे पैसे मांगता है या वो कुछ बेचने की कोशिश करता है, तो उसकी तरफ कोई सरकार ध्यान नहीं देती, क्योंकि वो वोटर नहीं है। वो वोट बैंक नहीं है। हम इन बच्चों के लिए आवासीय स्टेट ऑफ द ऑर्ट फैसिलिटी का एक स्कूल बनाएंगे। वो आवासीय स्कूल बिल्कुल अलग किस्म का होगा, क्योंकि बच्चों को सबसे पहले हमें भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक सहारा देना पड़ेगा।"
उन्होंने कहा, "इन बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए बहुत प्रयास किए गए और सारे प्रयास अभी तक फेल हुए। अभी तक जितने प्रयास किए गए, उनमें मानवीयता नहीं थी। बच्चों को पकड़ते हैं और ले जाकर चाइल्ड केयर सेंटर में डाल देते हैं। वहां कोई पूछने वाला नहीं है। बच्चे वहां से भाग जाते हैं। ये स्कूल ऐसे होंगे, जहां उनको फाइव स्टार जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। उन बच्चों को मुख्यधारा में लाकर उनको एक अच्छा नागरिक बनाया जाएगा। इसके लिए बजट में 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।"


