दिल्ली नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन एक्ट 1953: छ: दशकों पुराना, प्रभावहीन हो चुका है कानून
दिल्ली नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन एक्ट 1953 के स्थान पर नया क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट, 2010 हो लागू

नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से अब दिल्ली में लागूछह दशकों से पुराने दिल्ली नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन एक्ट 1953 के स्थान पर नया क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट, 2010 लागू करें। इस बाबत दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी मुख्यमंत्रियों से नए कानून को अपनाकर क्रियान्वित करने का अनुरोध किया है।
उन्होंने कहा कि बड़े प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी पर लगाम कसने के लिए नर्सिंग होम एक्ट के स्थान पर एस्टेबलिशमेंट एक्ट लागू करना अतिआवश्यक है।
विपक्ष के नेता ने कहा कि दिल्ली के अतिरिक्त सभी केन्द्रशासित क्षेत्र और अनेक राज्य केन्द्र का कानून लागू कर चुके हैं। परन्तु सरकार की निष्क्रियता और चुप्पी समझ से बाहर है। सरकार ने नए कानून को लागू करने में रूचि नहीं दिखाई है और यदि ऐसा ही चलता रहा तो आम नागरिक बड़े प्राइवेट अस्पतालों के शोषण का शिकार होता रहेगा व सरकार हाथ पर हाथ धर कर बैठी रहेगी। यदि कानून को प्रभावशाली नहीं बनाया गया तो मैक्स और फोर्टिस हस्पतालों जैसी घटनाएं बिना रोक.टोक घटित होती रहेंगी।
उन्होंने कहा कि 1953 में लागू किया गया कानून अब पूरी तरह प्रभावहीन हो चुका है। जब से ये कानून लागू हुआ है तब से अब तक निजी स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में अमूलचूल परिवर्तन आ चुके हैं।
श्री गुप्ता ने मुख्यमंत्री को लिखा कि अधिकतर बड़े प्राइवेट अस्पताल कॉरपोरेट क्षेत्र द्वारा चलाए जा रहे हैं इसलिए पुराने कानून से इनको नियंत्रित करने में असफल हैं।हालांकि गत वर्षों में केजरीवाल सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में कॉर्पोरेट जगत का साथ ही दिया है। उन्होंने कहा कि उनके स्वास्थ्य मंत्री ने अप्रैल 2015 में कॉर्पोरेट जगत को आश्वस्त किया था कि वे क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट को वर्तमान स्वरूप में लागू नहीं होने देंगे लेकिन अब बेहतर हो कि दोष मडऩे की बजाय आत्मनिरीक्षण करें व जनहित में लागू करें।


