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दिल्ली: सांसदों के लिए 188 करोड़ रुपये की लागत से नए आवास

दिल्ली में सांसदों के लिए नए आवासों का निर्माण किया गया है। प्रधान मंत्री संसद सदस्यों के लिए बनाए गए नवनिर्मित आवासों का उद्घाटन करेंगे

दिल्ली: सांसदों के लिए 188 करोड़ रुपये की लागत से नए आवास
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नई दिल्ली। दिल्ली में सांसदों के लिए नए आवासों का निर्माण किया गया है। प्रधान मंत्री संसद सदस्यों के लिए बनाए गए नवनिर्मित आवासों का उद्घाटन करेंगे। यह आवास दिल्ली के बी डी मार्ग पर बनाए गए हैं। सांसदों के आवास गंगा, यमुना और सरस्वती नामक तीन टावरों में है। सांसदों के लिए बनाए गए आवास 188 करोड़ रुपये की लागत से 27 महीनों के भीतर बनाए गए हैं।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "23 नवंबर 2020 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी बीडी मार्ग पर संसद सदस्यों के लिए 76 नवनिर्मित आवासों का उद्घाटन करेंगे। इन आवासों का निर्माण गंगा, यमुना और सरस्वती नामक तीन टावरों में किया गया है, जो कि 188 करोड़ रुपये की लागत से 27 महीनों के भीतर बनाए गए हैं।"

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "संसद व देशभर की विधानसभाओं का अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन इस बार 25 और 26 नवंबर को केवडिया गुजरात में आयोजित किया जायेगा। 26 नवंबर को देश भर में संविधान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।"

बिरला ने सूचित किया कि इस सम्मेलन के दौरान, विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी लोकतंत्र के तीन स्तंभों के बीच बेहतर सहयोग और समन्वय की आवश्यकता पर चर्चा करेंगे। यह हमारे संवैधानिक दायित्वों का ही हिस्सा है। हमारी संवैधानिक व्यवस्था में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र और उनके बीच संतुलन रखने हेतु प्रावधान स्पष्ट रूप से दिए गए हैं। संवैधानिक संतुलन बनाये रखना हमारा सामूहिक दायित्व है तथा शासन प्रणाली के तीनों अंगों के बीच सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व बनाए रखने और देश में लोकतंत्र के विकास के लिए यह आवश्यक भी है।

बिरला ने बताया कि संविधान दिवस के अवसर पर, इस सम्मेलन में सभी प्रतिनिधि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के संविधान में दी गई प्रस्तावना को पढ़ेंगे। 26 नवम्बर 2020 को आयोजित किए जा रहे समापन समारोह में एक संकल्प पारित किया जाएगा।

गत वर्ष 2019 में, इस सम्मेलन का आयोजन लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला के नेतृत्व में उत्तराखंड के देहरादून में किया गया था। उस सम्मेलन के दौरान शून्य काल और अन्य संसदीय साधनों के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने, क्षमता निर्माण और संविधान की दसवीं अनुसूची तथा पीठासीन अधिकारियों की भूमिका से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई थी। केवडिया में कांफ्रेंस की तीन समितियों की रिपोटरें पर भी विचार किया जाएगा।


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