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दिल्ली उच्च न्यायालय ने रैन बसेरों को हटाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी के कश्मीरी गेट यमुना पुश्ता इलाके के रैन बसेरों में रहने वालों की याचिका पर सुनवाई की

दिल्ली उच्च न्यायालय ने रैन बसेरों को हटाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की
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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी के कश्मीरी गेट यमुना पुश्ता इलाके के रैन बसेरों में रहने वालों की याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में उन क्षेत्रों से कुछ आश्रयों को हटाने के दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के फैसले को चुनौती दी गयी थी। न्यायालय ने इस मामले को मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

सुनवाई के दौरान डीडीए ने बताया कि निवासियों को अन्य आश्रयों में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है, जिसकी एक सूची अदालत में दी गई है।

याचिकाकर्ता के वकील कमलेश कुमार मिश्रा ने व्यवहार्यता का आकलन करने के लिए प्रस्तावित पुनर्वास स्थल का दौरा करने की मांग की। स्टे देने के मुद्दे पर दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) के वकील और डीयूएसआईबी के पुनर्वास निदेशक पी.के. झा ने कहा कि वे मंगलवार तक कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं करेंगे।

श्री मिश्रा ने हालांकि दावा किया है कि आज अदालत में दिए गए बयान के बावजूद साइट पर विध्वंस किया गया।

उन्होंने कहा कि साइट में विध्वंस चल रहा था और जब उन्होंने साइट विशेष रूप से रैन बसेरा कोड संख्या 227 का दौरा किया तो साइट पर एक ट्रक खड़ा था और संरचना को हटाया जा रहा था। उन्होंने कहा कि वहां भारी पुलिस बल तैनात था।

श्री मिश्रा ने कहा कि रैन बसेरों और उसमें रहने वालों को देर रात इस तरह से हटाना पूरी तरह से कानून उल्लंघन है और दिल्ली उच्च न्यायालय में आज की कार्यवाही का भी उल्लंघन है। उन्होंने कहा, "यह अदालत की अवमानना का एक स्पष्ट मामला है और डीयूएसआईबी और दिल्ली पुलिस की ओर से गरीबों को हटाने के लिए बल प्रयोग करने के लिए पूरी तरह से अमानवीय है।"


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