'बढ़ते प्रदूषण को रोकने में दिल्ली सरकार पूरी तरह विफल'
दिल्ली सरकार सम-विषम योजना लागू करने में पूरी तरह विफल हो गई है और एनजीटी से लगातार लग रही फटकार से स्पष्ट है कि दिल्ली सरकार प्रदूषण रोकने में फेल हुई है

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार सम-विषम योजना लागू करने में पूरी तरह विफल हो गई है और एनजीटी से लगातार लग रही फटकार से स्पष्ट है कि दिल्ली सरकार प्रदूषण रोकने में फेल हुई है।
यह आरोप लगाते हुए दिल्ली विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि वास्तविकता यह है कि सरकार ने जल्दबाजी में सम विषम लागू करने की घोषणा तो कर दी लेकिन कोई तैयारी नहीं की और न ही सरकार के पास एनजीटी द्वारा पूछे गए सवालों का कोई जवाब था। इसलिए एनजीटी की हरी झंडी के बाद भी सम विषम योजना वापिस लेना सरकार की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह है। दिल्ली सरकार अब बहानेबाजी कर इसे वापस लेकर मात्र अपनी जान बचाने की कोशिश कर रही है।
पर्यावरण विदों की राय में दिल्ली की सड़कों पर पिछले दो चरणों में लागू की गई सम-विषम योजना दिल्ली के लोगों को अपने दफ्तरों, दुकानों, कार्यस्थलों पर आने जाने के लिए बहुत बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ा था। दिल्ली में सार्वजानिक परिवहन बेड़े में पहले ही 11 हजार बसों की आवश्यकता के मुकाबले 3000 बसें ही उपलब्ध हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी केजरीवाल सरकार की निष्क्रियता और लापरवाही के चलते आज जहां एक ओर दिल्ली जहरीली गैस का गुब्बारा बनकर रह गई है और प्रशासकीय व्यवस्था हास्य का पात्र बन गई है।
सम-विषम योजना को वापस लेकर केजरीवाल सरकार ने अपनी प्रशासकीय विफलता स्वीकारी है। सच तो ये है कि दिल्ली की प्रशासकीय व्यवस्था पूरी तरह ठप्प है और यह दुखद सत्य है कि दिल्ल्ी किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार नहीं है। तिवारी ने कहा है कि केजरीवाल सरकार प्रदूषण रोधी पूर्व व्यवस्था करने में पूरी तरह असफल रही और संकट बढ़ने पर सरकार ने लगातार बचकाने कदम उठाए।
डीटीसी का बस बेड़ा पूरी तरह चरमरा गया है, दिल्ली में सिर्फ 1800 बसें डीटीसी बसें सड़कों पर चल रही हैं और ऐसे में सरकार की नि:शुल्क यात्रा की बचकाना घोषणा केवल राजनीति से प्रेरित थी।
ऑड-इवेन योजना से पहले सीएनजी स्टेशनों पर लगी लोगों की भीड़
दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर को कुछ हद तक नियंत्रण में लाने के लिए दिल्ली सरकार ने 13 से 17 नवम्बर तक ऑड-इवेन योजना को लागू करने की घोषणा की थी। इस पर राष्टï्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई है। हालांकि दिल्ली सरकार ने अपनी इस योजना को अब वापस ले लिया है, लेकिन योजना शुरू होने से पहले वाहन मालिक जगह-जगह बने सीएनजी स्टेशन में सीएनजी का स्टीकर लेने के लिए लंबी-लंबी लाइनों में खड़े होते दिखे। नरेला स्थित टीकरी खुर्द के पास सीएनजी स्टेशन पर भी यही हाल दिखाई दिया।
यहां भी बड़ी संख्या में लोग अपने वाहन की पंजीकरण प्रमाणपत्र, वैध हाइड्रोटेस्ट प्रमाणपत्र और वैध अनुपालन प्रमाणपत्र लेकर खड़े थे। यहां दोपहर ढाई बजे से रात 9 बजकर 30 मिनट तक सीएनजी स्टीकर दिए गए। आसपास के क्षेत्र अलीपुर व बवाना आदि में कहीं भी सीएनजी का स्टीकर नहीं बांटे जाने के कारण यहां लोगों की भीड़ देखने को मिली। बहरहाल इस योजना को वापस ले लिया गया है, लेकिन निजी वाहन मालिकों ने 10 और 11 तारीख को पेरशानी झेलकर सीएनजी स्टीकर प्राप्त किया।


