दिल्ली सरकार ने डीयू को दी जाने वाली वित्तीय सहायता रोकने के दिए आदेश
दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेज में पढ़ने वाले हजारों बच्चों को आने वाले दिनों में समस्याएं हो सकती हैं

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेज में पढ़ने वाले हजारों बच्चों को आने वाले दिनों में समस्याएं हो सकती हैं क्योंकि दिल्ली सरकार द्वारा इन कॉलेज में गवर्निग बॉडी के गठन के लिए भेजे नामों की सूची के आधार पर मंजूरी न देने के बाद अब दिल्ली सरकार ने वित्त विभाग को आदेश दिया है कि वह राज्य सरकार से वित्त पोषित कॉलेज को दी जाने वाली वित्तीय सहायता को रोक दे।
दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने यह जानकारी ट्वीट कर के दी और कहा कि सितंबर 2016 से दिल्ली यूनिवर्सिटी ने गवर्निंग बॉडी को मंजूरी नहीं दी है फिर मैं अनियमितताओं, अनियंत्रित भ्रष्टïाचार को जारी नहीं रहने दे सकता हूं।
केजरीवाल राजनैतिक लोगों को घुसाना चाहते हैं: कपिल
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेजों को 31 जुलाई तक का अल्टीमेटम दिया था जिसमें कहा गया था कि अगर 31 जुलाई तक डीयू के 28 कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी नही बनाई गई तो वो 1 अगस्त से इन कॉलेजों को मिलने वाले फंड पर रोक लगा देंगे। इसके बाद तो इस मामले में उबाल आ गया और दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर हमला बोलते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल इन 28 कॉलेज की गवर्निंग बॉडी में राजनैतिक लोग घुसाना चाहते हैं, शर्म कीजिए, दिल्ली विश्वविद्यालय में खुलेआम राजनैतिक दखल की कोशिश और ऐसा न होने पर कॉलेज का फण्ड ही बंद कर देने का ये देश मे पहला मामला हैं। इस का सीधा असर दिल्ली विश्वविद्यालय के हजारों छात्रों पर पड़ेगा।
निर्दोष विद्यार्थियों को सजा नहीं दी जा सकती: विजेंद्र
उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय विश्व प्रसिद्ध है और इस प्रकार की राजनीति छात्रों से दुश्मनी निकालने जैसा कदम है अत: यह छात्र विरोधी कदम तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। यदि सात अगस्त तक इस छात्र विरोधी कदम को वापस नही लिया गया तो दिल्ली विश्वविद्यालय में आंदोलन होगा। उन्होंने कहा कि छात्रों से माफी मांगों, छात्रों से खिलवाड़ बन्द करो अन्यथा अंजाम बहुत महंगा पड़ेगा। इसके बाद विपक्ष ने मोर्चा खोलते हुए कहा कि 50 हजार निर्दोष विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें। विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि 20 नए कॉलेज खोलने के वायदे में से एक भी नया कॉलेज नहीं खोला नहीं अपितु 28 कॉलेज बन्द करने के कागार पर पहुंचा दिए। जबकि दिल्ली सरकार गर्वनिंग बॉडी न बनाए जा पाने के लिए खुद जिम्मेदार है क्योंकि उसने एग्जीक्ूयटिव काउंसिल को विवादास्पद नाम भेजे हैं। सरकार अपने निर्णय की समीक्षा करे निर्दोष विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर न लगाए।


