रोगी के पास नहीं दिल्ली का आधार कार्ड, डॉक्टरों ने इलाज से किया इनकार
दिल्ली सरकार के दावों की आज उस समय पोल खुल कर सामने आ गई जब रिक्शा चलाने वाले योगेंद्र अपने पिता ओमप्रकाश को लेकर बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल लेकर गया

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के दावों की आज उस समय पोल खुल कर सामने आ गई जब रिक्शा चलाने वाले योगेंद्र अपने पिता ओमप्रकाश को लेकर बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल लेकर गया। उसके पिता को पेशाब में खून आ रहा था, इसलिए उसने जाकर अस्पताल में जांच आदि करवाई लेकिन रोगी को बिना सिटी स्कैन करवाए इसलिए अखिल भारतीय आुयर्विज्ञान अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया, क्योंकि उसके पास दिल्ली का पहचान पत्र नहीं था। विजय विहार, रोहिणी में रहने वाला योगेंद्र जब एम्स पहुंचा तब यह भेद खुला।
योगेंद्र ने बताया कि वह रिक्शा चलाता है और उसके पिता ने बताया कि उनके पेशाब से खून आ रहा है। जब उन्होंने रोहिणी के सेक्टर-6 स्थित, बीआर अंबेडकर में जाकर इलाज करवाने के लिए कहा कितो उन्हें फौरी उपचार कर रेफर कर दिया गया। योगेंद्र ने अपना दिल्ली का आधार कार्ड दिखाया लेकिन डॉक्टरों ने उसकी एक न सुनी और रोगी को सरकारी नियमों का हवाल देते हुए एम्स भेज दिया।
एम्स के डॉक्टरों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए माना कि यह सीधे सीधे भेदभाव है, क्योंकि बीआर अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टर ने जांच को करवाने के लिए दिल्ली की आईडी न होने की जानकारी होने के बाद रोगी को रेफर कर दिया अर्थात इलाज से इनकार कर दिया।
ओपीडी में ऐसे रोगियों के आने पर डॉक्टर मानते हैं कि एक ओर जहां दिल्ली सरकार दावा कर रही है कि वह सर्जरी आदि के लिए 30 में दिन में तारीख न मिले तो निजी अस्पताल में इलाज करवाएंगे तो दूसरी ओर ऐसे अमानवीय कार्य करने के लिए डॉक्टरों को विवश कर रही है।
उन्होंने बताया कि यह वोट बैंक की राजनीति में एक रोगी के स्वास्थ्य के साथ सीधे खिलवाड़ है।
योगेंद्र ने बातचीत में बताया कि एम्स में सभी आवश्यक जांच की हैं और अब एक माह की दवा दे दी है व फिर नौ मार्च को दिखाने के लिए कहा है। वह कहता-'मुझे पिता जी को लेकर जाने में बहुत दिक्कत हुई साहब इस नियम को हटवा कर कुछ करवाइए, गरीबों के हित में नहीं है ये।‘
अस्पताल के निदेशक के फोन पर उनके पक्ष जानने के लिए जब संपर्क किया तो फोन उठाने वाले तक नहीं थे।


