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दिल्ली : प्रदूषण घटाने को निर्माण कार्यो पर रोक, 521 वाटर स्प्रिगलिंग मशीनें, 233 एंटी स्मॉग गन तैनात

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की समस्या को देखते हुए निर्माण एवं विध्वंस कार्यो पर रोक लगा दी गई है

दिल्ली : प्रदूषण घटाने को निर्माण कार्यो पर रोक, 521 वाटर स्प्रिगलिंग मशीनें, 233 एंटी स्मॉग गन तैनात
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नई दिल्ली। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की समस्या को देखते हुए निर्माण एवं विध्वंस कार्यो पर रोक लगा दी गई है। दिल्ली में ग्रेप के तीसरे चरण की पाबंदियों को लागू करने का निर्णय लिया गया है। निर्माण कार्यो पर रोक की निगरानी के लिए 586 टीमें बनाई गई हैं। प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए दिल्ली में 521 वाटर स्प्रिगलिंग मशीनें, 233 एंटी स्मॉग गन, 150 मोबाईल एंटी स्मॉग गन पानी का छिड़काव कर रही हैं।

निर्माण एवं विध्वंस कार्यो पर रोक के बावजूद रेलवे स्टेशन, मेट्रो, हवाईअड्डे, राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित निर्माण तथा विध्वंस साइट, अंतर्राज्यीय बस अड्डे, अस्पताल, सड़क एवं राजमार्ग, फ्लाईओवर, बिजली, सीवर लाईन, स्वचछता परियोजनाओं पर निर्माण संबंधी छूट रहेगी। इसके साथ-साथ दिल्ली के अंदर जो इंटीरियर वर्क है, जैसे प्लम्बिंग का कार्य, बिजली फिटिंग का कार्य, फर्नीचर के काम की छूट रहेगी। निर्माण तथा विध्वंस स्थलों पर बोरिंग, ड्रिलिंग, खुदाई तथा भराई के काम पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने रविवार को कहा कि सर्दियों में प्रदूषण का स्तर बढ़ने का कारण बायोमास बर्निग, वाहनों का प्रदूषण और धूल है। इसके साथ-साथ सर्दियों में हवा की गति कम होती है। जब मैट्रोलाजिकल कंडिशन में बदलाव होता है, तब हवा की स्पीड कम होती है। हवा का रुख का बदलता है। तब दिल्ली के प्रदूषण में वृद्धि होती है। सीक्यूएएम (कमीशन फार एयर क्लवालिटी मैनेंजमेंट) के निर्देशानुसार हवा की गुणवत्ता (एक्यूआई) का अनुमान लगाकर तीन दिन पहले से ही ग्रेप के विभिन्न चरणों का लागू किया जाएगा।

विशेषज्ञों की राय के अनुसार 1 नवंबर से हवा की गति 4 से 8 किलोमीटर प्रतिघंटा होने का अंदेशा है। हवा का रुख उत्तर-पश्चिम होने का अनुमान है। इसकी वजह से दिल्ली का एक्यूआई 400 से ऊपर जा सकता है, जो सिवियर कैटेगरी है। इसलिए सीक्यूएएम ने मीटिंग कर आदेश जारी किया है कि ग्रेप के तीसरे चरण को लगू किया जाए।

उन्होंने कहा कि सीक्यूएएम के आदेश के अनुसार, दिल्ली में ग्रेप के तीसरे चरण की पाबंदियों को लागू करने का निर्णय लिया गया है। उसके क्रियान्वयन के लिए एक मजबूत ऑनिटरिंग सिस्टम तैयार किया है। कुल 586 टीमों का गठन किया है जो कि लगातार निर्माण व विध्वंस स्थलों का निरीक्षण करेंगी। इसमें में डीएमअरसी की 165, डीएमआरसी की 3, एनडीएमसी की 1, पीडब्लूडी की 6, दिल्ली कंटेनमेंट बोर्ड की 4, एमसीडी की 300, सीपीडब्लूडी की 6, डीपीसीसी की 33, डीएसआईडीसी की 20, डीडीए की 33, डीजेबी की 14, रेवेन्यू की 165 तथा आई एंड एफसी और एनएचआई की एक-एक टीमें हैं।

ऐसे में दिल्ली के अंदर निर्माण तथा विध्वंस की गतिविधियों पर बैन लगाया जा रहा है, जिसकी निगरानी ये टीमें करेंगी। पहले ये टीमें धूल प्रदूषण के नियमों का उल्लघंन न हो, इसका निरीक्षण कर रही थीं। निर्माण तथा विध्वंस पर बैन से कुछ विभागों को छूट दी जा रही है, लेकिन उन्हें निर्माण तथा विध्वंस के लिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना पड़ेगा। ऐसा नहीं करने पर उन्हें भी बैन कर दिया जाएगा।

गोपाल राय ने कहा, "अभी जो रिपोर्ट डीपीसीसी ने दी है उसके अनुसार, दिल्ली के अंदर जितने हमारे प्रदूषण मानिटरिंग स्टेशन हैं, वहां एक्यूआई 400 के नीचे है। लेकिन आंनद विहार तथा विवेक विहार पर एक्यूआई लेवल क्रमश 440 और 408 दर्ज किया जा रहा है।"

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार से हाथ जोड़कर निवेदन है कि आंनद विहार में जो एक्यूआई का स्तर बढ़ रहा है, उसमें मुख्य योगदान डीजल के वाहनों का है। अगर इन बसों की जगह सीएनजी की बसें चलवाने का प्रयास करें, जिससे बॉर्डर पर जो एक्यूआई का लेवल इतना ज्यादा बढ़ रहा है, उसे कम किया जा सके।


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