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वर्क आर्डर में देरी : श्रमिक सहकारी समिति के कर्मचारियों को वेतन भुगतान नहीं

श्रमिक सहकारी समिति विगत 1973 से राजहरा खान समूह के अंतर्गत बिना निविदा के वर्क अॉर्डर पद्धति के आधार पर कार्य कर रही है

वर्क आर्डर में देरी : श्रमिक सहकारी समिति के कर्मचारियों को  वेतन भुगतान नहीं
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९दल्लीराजहरा। श्रमिक सहकारी समिति विगत 1973 से राजहरा खान समूह के अंतर्गत बिना निविदा के वर्क अॉर्डर पद्धति के आधार पर कार्य कर रही है। भिलाई इस्पात संयंत्र के ठेका पद्धति का एकमात्र समिति है जो वर्क आर्डर पद्धति में काम कर रही है। चूंकि इस समिति के कर्मचारी नियमित कर्मचारियों के समान बिना रूकावट के अपनी सेवा देती है।

उनका वेतन, सीपीएफ, गु्रेच्युटी, बोनस इत्यादि तमाम् सुविधायें समिति को माध्यम बनाकर तमाम भुगतान सीधे तौर पर बीएसपी प्रबंधन ही करती है। तथा समय समय पर नियमित कर्मचारियों के वेतन समझौते के बाद इस समिति के कर्मचारियों को पी 1 ग्रेड एवं नियमित कर्मचारियों के अवधि के अनुसार इनका भी वेतन समझौता होता है।

संयुक्त खदान मजदूर संघ (एटक) के महासचिव राजेंद्र बेहरा ने कहा कि इस बार वर्क आर्डर में देरी होने के कारण पिछले 16 अप्रैल से इस समिति का वेतन भुगतान अभी तक अप्राप्त है। माइंस के समस्त अधिकारियों से इस संबंध में अनुरोध करने के बावजूद भी वेतन दिलाने में असमर्थ हो रहे हैं। कभी वर्क आर्डर कभी जीएसटी का हवाला देकर तकनीकी कारणों में उलझा दिया गया है। साथ ही साथ एनजेसीएस के तहत हुये वेतन समझौते का एरियर्स जो जनवरी 2017 में प्राप्त हो जाना था वह भी अभी तक अप्राप्त है। जिससे कर्मचारियों के समक्ष भुखमरी एवं सूदखोरों के समझा हाथ फैलाने की स्थिति निर्मित हो गई है। एवं उनका आर्थिक एवं परिवारिक स्थिति खराब होती जा रही है। फिर भी बिना वेतन प्राप्त किये चार महा से बिना अवरोध के कार्य जारी रखे हुये है। परंतु कर्मचारियों में आक्रोष पनपते जा रहे है।

जीएसटी एवं पीओ से तकनीकी अवरोध के कारण प्रबंधन वेतन भुगतान नहीं कर पा रही है तो समिति को प्राप्त होने वाली वास्तविक बिल का 90 प्रतिशत हिस्सा एडवांस बतौर देकर कर्मचारियों को राहत दिलाया जाये अथवा उनकी वेतन त्रिपक्षीय वेतन समझौते के तहत प्राप्त होने वाली एरियर्स राशि का भुगतान 5 दिनों के अंदर करा कर राहत दी जाये। जिससे औद्योगिक अशांति से बचा जा सके। अन्यथा मजबूर होकर श्रमिक सहकारी समिति के कर्मचारी सीधी कार्यवाही के लिये बाध्य होंगे। इसके लिए खदान महाप्रंधक को ज्ञापन सौंपा गया।


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