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कूप जलने से वन विभाग को करोड़ों का नुकसान

रायगढ़ वन परिक्षेत्र के बंगुरसिया सर्किल में आग लगने की ऐसी घटना घटित हुई

कूप जलने से वन विभाग को करोड़ों का नुकसान
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आग लगने के कारणों की जांच नहीं, उठेगा मामला
रायगढ़ । गर्मी का मौसम आते ही जंगलों में दावानाल की घटनाएं शुरू हो चुकी थी, लेकिन इसके बाद भी विभाग के अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और लापरवाह बरतने वाले कर्मचारियों को मार्च माह वित्तीय वर्ष होने के कारण सरंक्षण देने में लगे रहे।

नतीजा यह हुआ कि रायगढ़ वन परिक्षेत्र के बंगुरसिया सर्किल में आग लगने की ऐसी घटना घटित हुई, जिसमें शासन को करोड़ो रुपए का नुकसान हो गया और यहां सैकड़ों की संख्या में कराए गए कूप कटिंग का कूप जल कर राख हो गया, लेकिन इसके बाद भी विभाग के अधिकारी अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आए और मामले में तत्काल कार्रवाई करने के बजाए अब इसकी भरपाई करने के लिए अन्य पेड़ों की कटाई कराने में लगे हुए हैं।

बंगुरसिया सर्किल के कक्ष क्रमांक 915 में फरवरी, मार्च माह में कूप कटिंग का कार्य किया जा रहा था। कूप कटिंग कर इसे वहीं जंगल में चट्टा लगाया गया था। ताकि इसका परिवहन फारेस्ट के डीपो में किया जा सके और इससे शासन को राजस्व मिल सके, लेकिन करीब डेढ़ सप्ताह पूर्व बंगुरसिया सर्किल के कक्ष क्रमांक 915 में दावानाल की घटना घटित हो गई।

ऐसे में यहां रखा गया कूप पूरी तरह जल कर राख हो गया। बाद में जब विभाग के संबंधित कर्मचारियों को इसकी जानकारी हुई, तो उनके होश उड़ गए, लेकिन अपनी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी और उस जले हुए कूप की भरपाई करने के लिए अन्य पेड़ों को काटना शुरू कर दिया।

सूत्रों ने बतया कि करीब पचास से अधिक मजूदरों से अब यहां कटाई कराया जा रहा था। ताकि इस मामले पर जल्द ही पर्दा डाल दिया जाए। हांलाकि नाम नहीं छापने की शर्त पर ग्रामीणों ने बताया कि मुख्यालय में कर्मचारियों के नहीं रहने के कारण पहले तो जंगल में आग लगी और कूप जल गया और अब जंगल को बचाने के बजाए खुद ही अवैध कटाई कराने में लग गए हैं।

इस मामले में अब तक अपराध दर्ज नहीं कराना कई संदेहो को भी जन्म दे रहा है। वहीं मामले में विभाग के अधिकारियों से चर्चा करने पर कूप का धुलाई होने की बात कह रहे हैं, जबकि मौके पर कूप की राख इस बात का गवाह है कि यहां काफी मात्रा में कूप जल गया।

शासन को राजस्व का नुकसान
विभाग के जानकारों ने बताया कि कूप कटिंग के लिए शासन के द्वारा राशि दी गई थी। ताकि कूप कंटिग के बाद शासन को उससे राजस्व मिल सके, लेकिन यहां तो विभाग के अधिकारियों ने शासन को ही राजस्व का नुकसान करा दिया। पहले कूप कटिंग के लिए स्वीकृत राशि का नुकसान फिर कूप के जल जाने से कूप से मिलने वाले राजस्व का नुकसान और अब अवैध कटाई कराकर आगामी सालों में मिलने वाले राजस्व का नुकसान शासन को होगा।

अब तक नहीं हो सका अपराध दर्ज
करीब डेढ़ सप्ताह पहले यहां जंगल में आग लगा और कूप जल कर राख हो गया, लेकिन मामले में अपराध दर्ज कराकर जांच करते हुए दोषियों पर कार्रवाई करने के बजाए अपराध व साक्ष्य को छिपाने का काम यहां किए जाने की बात कही जा रही है। ऐसे में विभाग के बड़े अधिकारियों के सरक्षंण में लगातार जंगल का सफाया होते जा रहा है और दोषियों को बख्शा जा रहा है।

मुख्यालय में नहीं रहते वनकर्मी
सूत्रों ने यह भी बताया कि पूर्व में कई बार शिकायत हो चुकी है कि वनकर्मी अपने मुख्यालय में नहीं रहते हैं। इसके बाद भी मुख्यालय में नहीं रहने वाले कर्मचारियों को छुट दे दी गई है। यही नहीं रेंजर पर भी मुख्यालय को छोड़कर बिलासपुर हर छुट्टी में जाने की बात सामने आ चुकी है और अब तक रेंजर क्वार्टर भी खाली नहीं कराया गया है। ऐसे में विभाग के जानकारों का कहना है कि जब बड़े अधिकारी ही मुख्यालय में नहीं रहेंगे, तो छोटे कर्मचारियों का हौसला तो बुलंद होगा।

बीट जांच की मांग की जाएगी
वहीं जिला सेव फारेस्ट के पदाधिकारियों का कहना है कि मामले में उच्च अधिकारियों से शिकायत करते हुए बीट जांच की भी मांग कर दोषियों पर कार्रवाई करने की भी मांग की जाएगी। कूप में आग लगने से शासन को नुकसान हो जाना अपने आप में एक बड़ा मामला है। ऐसे में विभाग के द्वारा बीट जांच करायी जाती है, तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। बताया जा रहा है कि बीट जांच से पूर्व के अवैध कटाई का भी खुलासा हो सकता है।


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