यातायात पर प्रतिबंध लगाने के बाद से जानवरों की मौत में कमी
बांदीपुर नेशनल पार्क में वर्ष 2009 में रात में यातायात पर प्रतिबध लगाने के बाद से जानवरों की मौत में जबर्दस्त रूप से कमी आई

मैसूर । बांदीपुर नेशनल पार्क में वर्ष 2009 में रात में यातायात पर प्रतिबध लगाने के बाद से जानवरों की मौत में जबर्दस्त रूप से कमी आई है।
हालांकि केरल सरकार केंद्र सरकार पर बांदीपुर टाइगर रिजर्व में रात में यातायात की आवाजाही पर प्रतिबंध हटाने के लिए दबाव डाल रही है जिससे विवाद खड़ा हो गया है। लेकिन कर्नाटक सरकार प्रतिबंध जारी रखने के निर्णय के साथ है । इसके साथ ही मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने बांदीपुर में रात में किसी तरह के यातायात शुरू करने से संबंधित प्रस्ताव का विरोध किया है।
टाइगर रिजर्व के रास्ते में पड़ने वाले दो राष्ट्रीय राजमार्ग पर रात में यातायात पर प्रतिबंध लगाने से पहले वर्ष 2004 से 2009 के बीच अधिकतम 93 जानवरों की मौत हो चुकी थी।
बांदीपुर टाइगर रिजर्व के आंकड़ों के अनुसार प्रतिबंध के प्रभाव में आने के बाद से वर्ष 2010 से 2018 के बीच मरने वाले जानवरों में संख्या में कमी होकर 34 पहुंच गई।
बांदीपुर टाइगर रिजर्व के निदेशक अंबादी माधव ने बताया कि वर्ष 2004 में अधिकतम 32 जानवरों की मौत हुई थी जो वर्ष 2007 में बढ़कर 41 हो गई थी। लेकिन जब रात में यातायात पर प्रतिबंध प्रभाव में आ गया तब से वाहनों से कुचलकर मरने वाले जानवरों की संख्या में जबर्दस्त रूप से कमी आई है। आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले चार वर्षो में आठ जानवरों और वर्ष 2016 में सिर्फ एक जानवर की मौत हुई है।
चमराजानगर जिला प्रशासन द्वारा वर्ष 2009 में जारी एक निर्देश के बाद टाइगर रिजर्व में रात को नौ बजे से लेकर सुबह छह बते तक यातायात पर प्रतिबंध लगाई गई थी। इस फैसले को कर्नाटक के उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी जिसके बाद न्यायालय ने इस निर्णय को बरकरार रखने का फैसला सुनाया था। अब यह मामला उच्चतम न्यायालय के विचाराधीन है।
उच्चतम न्यायालय ने मामले पर विचार करने के लिए राष्ट्रीय बांघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के प्रतिनिधियों के अलावा कर्नाटक, केरल और केंद्र सरकार के परिवहन विभाग के अधिकारियों को मिलाकर एक समिति बनाने का निर्देश दिया था। श्री माधव ने बताया कि समिति के सदस्यों ने तीन महीने पहले बांदीपुर आकर निरीक्षण भी किया था।


