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हिंडन नदी के घाटों को सजाया गया

 छठ पर्व का पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी नहाय खाय के रूप में मंगलवार से शुरू हो जाएगा

हिंडन नदी के घाटों को सजाया गया
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गाजियाबाद। छठ पर्व का पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी नहाय खाय के रूप में मंगलवार से शुरू हो जाएगा। इसके लिए शासन एवं स्थानीय लोगों के प्रयास से छठ घाटों को तैयार किया गया है, जबकि व्रत धारण करने वाले एवं उनके परिजनों ने भी व्रत पूरा कराने की पूरी तैयारी कर चुके हैं।

मिथिलांचल सेवा समिति के अध्यक्ष पवन झा ने बताया कि व्रत शुरू करने से पहले व्रतधारी घर की सफाई कर उसे पवित्र करते हैं। इसके बाद छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करेंगे।

घर के सभी सदस्य व्रति के भोजन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करेंगे। इस व्रत में भोजन के रूप में कददू, दाल और चावल ग्रहण किया जाता है। यह दाल चने की होती है। दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतधारी दिनभर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करेंगेए इसे खरना कहा जाता है। खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है। प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूधए चावल का पिठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

संध्या अर्घ्य

तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ का प्रसाद बनेगा। प्रसाद के रूप में ठेकुआ या टिकरी के अलावा चावल के लड्डू या लड़ुआ बनाते हैं। चढ़ावा के रूप में लाया गया सांचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है। शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है। व्रति के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने नजदीकी घाट पर पहुंचेंगे। सभी छठव्रति एक नियत तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान करेंगे। सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है। छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है।

चौथे दिन होगा उषा अर्घ्य

चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदियमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। व्रति वहीं पुनरू इकट्ठा होते हैं जहां उन्होंने पूर्व संध्या को अर्घ्य दिया था। पुनरू पिछले शाम की प्रक्रिया की पुनरावृत्ति की जाती है। सभी व्रति तथा श्रद्धालु घर वापस आते हैंए पूजा के बाद व्रति कच्चे दूध का शरबत पीकर और प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं।


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