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विवाह समारोहों में 200 से घटाकर 50 लोग करने का फैसला अमानवीय : अनिल

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने शुक्रवार को कहा कि केजरीवाल सरकार का शादियों में शामिल होने की संख्या घटाकर 50 करने का अचानक लिया गया फैसला अमानवीय है

विवाह समारोहों में 200 से घटाकर 50 लोग करने का फैसला अमानवीय : अनिल
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नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष चौ. अनिल कुमार ने शुक्रवार को कहा कि केजरीवाल सरकार का शादियों में शामिल होने की संख्या घटाकर 50 करने का अचानक लिया गया फैसला अमानवीय है ।

चौधरी अनिल ने आज कहा कि अचानक लिया गया यह निर्णय न केवल शादी उद्योग को बर्बाद कर देगा, बल्कि कोविड-19 महामारी संकट से प्रभावित वैवाहिक सीजन में इससे संबधित उद्योग के जुड़े लोगों को भी भारी नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार में दूरदर्शिता और योजना की कमी स्पष्ट दिखाई देती है क्योंकि दीपावली से ठीक एक सप्ताह पहले अचानक पटाखा बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया, तब तक व्यापारियों को पटाखे स्टॉक करने के लिए लाइसेंस जारी किए जा चुक थे, पटाखा प्रतिबंध के कारण व्यापारी को भारी नुकसान हुआ।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के इस तरह के अचानक, मनमाने फैसलों ने न केवल अर्थव्यवस्था को बर्बाद किया है, बल्कि लोगों में एक मनोवैज्ञानिक संकट भी पैदा किया है, क्योंकि वे इस बारे में अंधेरे में हैं कि भविष्य में क्या होने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि पांच से छह लाख लोग शादी से जुड़े उद्योग पर निर्भर है जिसमें टेंट, केटरिंग, कांट्रेक्टर, बैक्वट हॉल मालिक, फ्लोरिस्ट, फल-सब्जी सप्लायर आदि हैं। सरकार की शादी में उपस्थिति 200 से घटकार 50 करने से इससे जुड़े सभी लोगों को भारी आर्थिक नुकसान होगा, उन सभी के अलावा जिन्होंने पहले से ही विभिन्न सेवाओं की बुकिंग की है, क्योंकि ऐसी सेवाओं के कांट्रेक्ट बचे हुए व्यक्तियों के लिए बुकिंग राशि वापस नहीं करने वाले हैं। उन्होंने कहा शादी उद्योग से जुड़े उन सभी लोगों को उचित मुआवजा देने की मांग की, जिन्होंने पहले से ही शादियां आयोजित करने के लिए विभिन्न सेवाओं को बुक किया है, अब सरकार के आदेश पर इन्हें भारी नुकसान होगा।

अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली में 1000 से अधिक बैंक्वेट हॉल हैं और अन्य श्रेणी के लोग जो अपनी आजीविका के लिए शादी उद्योग पर निर्भर हैं, उनमें सफाईकर्मी, सिलाई, कपड़े, आभूषण और परिवहन क्षेत्रों के लोग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि शादी के सीजन में दिल्ली में 30,000 से 50,000 शादियां होती हैं, दिल्ली सरकार मेहमानों की संख्या सीमित रखने की नीति होने के कारण शादी उद्योग को भारी नुकसान होगा।

चौधरी अनिल ने कहा कि उद्योगों और अन्य वर्गों की सेवाओं को कोविड -19 महामारी लॉकडाउन के चलते अचानक, अनियोजित ढ़ग से लंबे समय तक बंद रहने के कारण इनसे जुड़े लोगों और व्यवसायों को भारी नुकसान उठाना पड़ा, और वे अब किसी भी इस तरह के प्रतिबंधाें को सहन करने की स्थिति में नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार कोविड के मानदंडों और दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू करके प्रति विवाह में 200 व्यक्तियों को शामिल होने की आसानी से अनुमति दे सकती थी। अगर भीड़भाड़ वाले शॉपिंग सेंटरों को काम करने की अनुमति दी जा सकती है, तो प्रत्येक शादी में 200 मेहमानों को अनुमति देने में कोई बुराई नहीं है।


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