तेन्दूपत्ता नीलामी में गड़बड़ी की याचिका पर फैसला सुरक्षित
तेंदूपत्ते के नीलामी में गड़बड़ी को लेकर लगाई गई याचिका पर सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है

बिलासपुर। तेंदूपत्ते के नीलामी में गड़बड़ी को लेकर लगाई गई याचिका पर सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। मामले में ठेकेदारों को भी मंगलवार को हाईकोर्ट ने अपना पक्ष रखने का मौका दिया था।
याचिकाकर्ता की ओर से अपना पक्ष रखते हुए हाईकोर्ट को बताया गया था कि केन्द्र सरकार का जो वन अधिकार कानून है जिसे संसद ने 2006 बनाया था। उसके आने के बाद तेंदूपत्ते पर मालिकाना हक वनवासियों का है। राज्य सरकार सिर्फ ट्रस्टी है और वनोपज संघ एजेंट है इसके तहत जो भी स्कीम चलाई जा रही है, जैसे चरणपादुका, बोनस वह वनवासियों का अधिकार है।
अधिवक्ता विवेक तन्खा ने बताया कि शासन की नई तेंदूपत्ता नीति में काफी गड़बड़ी है। कोई भी नीलामी सरकारी बोली को गुप्त नहीं रखा जा सकता। सर्वाधिक बोली वाले को छोड़कर 16 वें क्रम वाले को तेंंदूपत्ता आबंटन कर दिया गया। 165 ठेकेदारों ने तेंदूपत्ता की नई नीति के तहत भाग लिया था, लेकिन ऊंची बोली वाले को ठेका नहीं दिया गया।
इस नीति के लागू होने से सरकार को 4 सौ करोड़ रूपए का नुकसान हो रहा है। तेंदूपत्ता वनोपज में 80 प्रतिशत हिस्सा आदिवासियों को दिया जाता है और तेंदूपत्ता तोड़ने के बाद ही आदिवासियों को लाभ मिल पाता है, लेकिन नई पॉलिसी में आदिवासियों के अधिकारों का हनन हो रहा है। नियम के अनुसार 80 प्रतिशत राशि पर आदिवासियों का हक है।
नई पॉलिसी में जो नियम किए गए हैं उसमें कोई भी बोली लगा सकता है, लेकिन सरकार ने पहले व दूसरे क्रम के बजाए 16, 17, 18 वे क्रम के बोली लगाने वाले ठेकेदार को तेंदूपत्ता का आबंटन कर दिया। मामले में आज तीनों पक्षों की बहस आज पूरी हो गई। मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।


