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न्यायाधीश लोया की मौत के मामले की स्वतंत्र जांच पर फैसला सुरक्षित

सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी. एच लोया की कथित रहस्यमय हालात में मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली विभिन्न याचिकों पर शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रखा

न्यायाधीश लोया की मौत के मामले की स्वतंत्र जांच पर फैसला सुरक्षित
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नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी. एच लोया की कथित रहस्यमय हालात में मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली विभिन्न याचिकों पर शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रखा। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड की पीठ ने मामले में सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।

सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला, बॉम्बे अधिवक्ता संघ, पत्रकार बंधुराज सम्भाजी लोन, एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) और अन्य ने न्यायाधीश लोया की मौत की स्वतंत्र जांच करने की मांग की है।

न्यायाधीश लोया, सोहराबुद्दीन शेख के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह भी आरोपी थे। बाद में शाह को इस मामले में बरी कर दिया था। नवंबर 2014 में जस्टिस लोया की मौत हुई थी।

महाराष्ट्र सरकार ने न्यायाधीश लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह असत्यापित मीडिया रिपोर्टों के आधार पर है, आक्षेप से प्रेरित है और इसे याजनाबद्ध तरीके से दायर किया गया है क्योंकि 'इससे एक बड़ी राजनीतिक पार्टी का पदाधिकारी जुड़ा हुआ है।'

सुनवाई के दौरान बॉम्बे अधिवक्ता संघ ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि दिवंगत न्यायाधीश लोया के परिवार को शायद यह कहने पर मजबूर किया गया होगा कि वह इस मामले की नई जांच नहीं कराना चाहते। लेकिन इससे जुड़ी संदिग्ध परिस्थितियां इसकी एक स्वतंत्र जांच की मांग करती हैं।

संघ की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने लोया की मौत से जुड़े 'बहुत सारे संयोगों' की ओर इशारा करते हुए घटनाओं के क्रम को ब्योरा दिया और कहा कि 'जस्टिस लोया की मृत्यु संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है।'


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