Top
Begin typing your search above and press return to search.

हेमंत सोरेन की विधायकी पर आज आएगा फैसला, सीएम हाउस में यूपीए की बैठक

झारखंड में सबकी निगाहें राजभवन पर टिकी हैं

हेमंत सोरेन की विधायकी पर आज आएगा फैसला, सीएम हाउस में यूपीए की बैठक
X

रांची, झारखंड में सबकी निगाहें राजभवन पर टिकी हैं। भारत के निर्वाचन आयोग ने विधायक हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने की अनुशंसा राजभवन को भेजी है। राज्यपाल रमेश बैस निर्वाचन आयोग की अनुशंसा के आधार पर शुक्रवार को किसी भी वक्त आदेश जारी कर सकते हैं। विधायकी जाने पर हेमंत सोरेन को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। हालांकि सत्ताधारी गठबंधन के पास विधानसभा में पर्याप्त संख्या बल है, इसलिए हेमंत सोरेन के संभावित इस्तीफे के बाद भी नये सिरे से इसी गठबंधन की सरकार बने रहने के आसार हैं। बदलती हुई राजनीतिक परिस्थितियों के मुताबिक, त्वरित फैसला लेने के लिए यूपीए गठबंधन के विधायकों और आला नेताओं की बैठक 11 बजे से सीएम हाउस में शुरू हुई है। यूपीए के सभी विधायकों को अगले कुछ दिनों तक रांची में ही रहने को कहा गया है, ताकि हेमंत सोरेन के इस्तीफा देने की सूरत में नई सरकार के लिए पूर्ण संख्याबल के साथ दावा पेश किया जा सके।

बता दें कि हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर यह संकट इस वजह से आया कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए रांची के अनगड़ा में अपने नाम 88 डिसमिल के क्षेत्रफल वाली पत्थर खदान लीज पर ली थी। भाजपा ने इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ का पद) और जन प्रतिनिधित्व कानून के उल्लंघन का मामला बताते हुए राज्यपाल के पास शिकायत की थी। राज्यपाल ने इसपर चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था। आयोग ने शिकायतकर्ता और हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर इस मामले में उनसे जवाब मांगा और दोनों के पक्ष सुनने के बाद गुरुवार को राजभवन को मंतव्य भेज दिया है। इसके बाद से ही राज्य में सियासी उथल-पुथल बनी हुई है।

राज्यपाल के संभावित निर्णय को लेकर यूपीए नेताओं ने कहा है कि वे हर परिस्थिति के लिए तैयार हैं। खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को ट्विट किया, "संवैधानिक संस्थाओं को तो खरीद लोगे, जनसमर्थन कैसे खरीद पाओगे? झारखंड के हजारों मेहनती पुलिसकर्मियों का यह स्नेह और यहां की जनता का समर्थन ही मेरी ताकत है। हैं तैयार हम। जय झारखंड।"

हेमंत सोरेन के लिए इस्तीफा देने की सूरत में यूपीए ने हर विकल्प पर मंथन किया है। जानकारों के मुताबिक सबसे पहला विकल्प यह है कि राज्यपाल का फैसला प्रतिकूल होने पर हेमंत सोरेन सुप्रीम कोर्ट जाकर त्वरित सुनवाई की गुहार लगा सकते हैं। दूसरा विकल्प यह कि अगर आयोग ने हेमंत सोरेन को आगे चुनाव लड़ने के लिए डिबार न किया हो तो वह इस्तीफा देकर फिर से सरकार बनाने का दावा पेश करके दुबारा मुख्यमंत्री बन सकते हैं, क्योंकि उनके गठबंधन के पास फिलहाल पर्याप्त बहुमत है। झारखंड में सरकार में बने रहने के लिए 42 विधायकों का संख्या बल जरूरी होता है, जबकि हेमंत सोरेन को माइनस करने के बाद भी मौजूदा सत्ताधारी गठबंधन के पास 50 का संख्या बल है। तीसरा विकल्प यह कि हेमंत सोरेन के अयोग्य घोषित होने और चुनाव लड़ने से डिबार किये जाने की स्थिति में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन, मां रूपी सोरेन या भाभी सीता सोरेन को गठबंधन का नया नेता यानी मुख्यमंत्री चुना जा सकता है। चौथी संभावना यह कि हेमंत सोरेन के परिवार से इतर पार्टी के किसी वरिष्ठ विधायक को नया नेता चुन लिया जाये।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it