Top
Begin typing your search above and press return to search.

फ्रिज नहीं चलने से वैज्ञानिकों की दशकों की मेहनत बर्बाद

स्वीडन में पिछले हफ्ते वैज्ञानिकों की दशकों की मेहनत बर्बाद हो गई. एक प्रतिष्ठित मेडिकल यूनिवर्सिटी ने कहा है कि उसके दशकों से जमा किए जा रहे सैंपल खराब हो गए हैं

फ्रिज नहीं चलने से वैज्ञानिकों की दशकों की मेहनत बर्बाद
X

स्वीडन में पिछले हफ्ते वैज्ञानिकों की दशकों की मेहनत बर्बाद हो गई. एक प्रतिष्ठित मेडिकल यूनिवर्सिटी ने कहा है कि उसके दशकों से जमा किए जा रहे सैंपल खराब हो गए हैं.

स्वीडन में स्टॉकहोम के प्रतिष्ठित कैरोलिंस्का इंस्टिट्यूट (KI) ने कहा है कि रिसर्च के लिए दशकों से जमा किए जा रहे सैंपल खराब हो गए हैं. ऐसा क्रिसमस की छुट्टियों के दौरान फ्रीजर के खराब हो जाने के कारण हुआ. सोमवार को यूनिवर्सिटी ने बताया कि इस बारे में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है.

केआई वही इंस्टिट्यूट है जहां नोबेल असेंबली का मुख्यालय है और यहीं से समिति फिजिक्स और मेडिसिन के नोबेल पुरस्कारों के लिए विजेताओं को चुनती है.

इंस्टिट्यूट ने बताया कि इन नमूनों को एक टैंक में रखा गया था जिसे लिक्विड नाइट्रोजन से माइनस 190 डिग्री पर ठंडा रखा जाता है. 22 और 23 दिसंबर के बीच किसी वक्त 16 क्रायोजेनिक टैंकों में लिक्विड नाइट्रोजन की सप्लाई बंद हो गई.

अरबों रुपयों का नुकसान

यूं तो टैंक बिना सप्लाई के भी चार दिन तक काम करने के लिए बनाए गए हैं लेकिन केआई में यह सप्लाई पांच दिन तक बंद रही. इस कारण वे सारे नमूने बर्बाद हो गए. यहां अलग-अलग संस्थानों ने अपने सैंपल जमा करा रखे थे.

केआई के दक्षिणी कैंपस के डीन माटी सालबर्ग ने बताया, "यह (घटना) जिस वक्त हुई, उसके लिए स्वीडन में इससे बुरा वक्त नहीं हो सकता था. क्रिसमस से सिर्फ एक दिन पहले.”

देश के कुछ स्थानीय मीडिया संस्थानों ने अपने समाचारों में बताया है कि जो नमूने बर्बाद हुए हैं उनकी कीमत करीब 4.7 करोड़ डॉलर यानी लगभग चार अरब रुपये थी. हालांकि सालबर्ग ने कहा कि आधिकारिक तौर पर नमूनों की कीमत का आकलन नहीं किया गया है लेकिन बेशक यह करोड़ों में थी.

सालबर्ग ने बताया, "सबसे बुरा असर ल्युकेमिया पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों पर हुआ है. उन्होंने मरीजों से 30 साल तक पुराने सैंपल जमा किए हुए थे.”

यूनिवर्सिटी ने घटना की जांच शुरू कर दी है. हालांकि घटना के पीछे किसी साजिश के संकेत नहीं मिले हैं लेकिन फिर भी यूनिवर्सिटी ने पुलिस को इसकी सूचना दे दी है. सालबर्ग ने कहा, "फिलवक्त ऐसा कोई संकेत नहीं है कि किसी बाहरी दखलअंदाजी के कारण यह घटना हुई लेकिन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी गई है.”

भविष्य प्रभावित

उन्होंने कहा कि ये सारे नमूने जो बर्बाद हुए हैं, वे सिर्फ और सिर्फ रिसर्च के लिए थे और किसी भी मरीज के इलाज पर इस घटना का कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन भविष्य में रिसर्च इससे काफी प्रभावित होगी.

सालबर्ग ने कहा, "ये ऐसे सैंपल हैं जो बहुत विस्तृत अध्ययनों में इस्तेमाल हुए हैं और भविष्य में इनका और भी शोधों में इस्तेमाल होना था.”

2015 में ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसा घटना हुई थी जब देश के प्रमुख वैज्ञानिक शोध संस्थान CSIRO में सालों तक जमा किए गए सैंपल फ्रिज ना चलने के कारण बर्बाद हो गए थे. ब्लैक माउंटेन स्थित इंस्टिट्यूट में शोध के दौरान कई सालों में जमा किए गए नमूने खराब हो गए थे.

उस घटना में संस्थान ने तकनीकी कर्मचारियों पर आरोप लगाया था. अधिकारियों ने कहा था कि तकनीशियन ने उपकरण की जांच के बाद फ्रिज का बटन ऑन नहीं किया, इसलिए फ्रिज बंद रहा और सैंपल खराब हो गए. अधिकारियों ने तब कहा था कि उस घटना में करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ था.


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it