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नहीं बनी सरकार और अन्नदाता में बात, ‘26 जनवरी को 1 लाख ट्रैक्टर लेकर दिल्ली कूच करेंगे’

सरकार के साथ अन्नदाताओं की 9वें दौर की बातचीत बेनतीजा निकली

नहीं बनी सरकार और अन्नदाता में बात, ‘26 जनवरी को 1 लाख ट्रैक्टर लेकर दिल्ली कूच करेंगे’
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नए कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन में बैठे अन्नदाताओं को आज डेढ़ महीने हो गए हैं. कल सरकार के साथ अन्नदाताओं की 9वें दौर की बातचीत हुई. लेकिन ये बेनतीजा निकली. अब 15 जनवरी को सरकार और अन्नदाता के बीच 10वें दौर की बातचीत होनी है. लेकिन हर बार हल निकलने की बजाए तारीख मिलने पर अन्नदाताओं का गुस्सा अब बढ़ गया है. ऐसे में अब अन्नदाताओं की आगे की क्या तैयारी है,अन्नदाता 45 दिनों से अपनी मांग पर अड़े हैं. लेकिन सरकार भी अपने रुख पर कायम हो गई है. नए कृषि कानून को सरकार वापस नहीं लेगी . अब तक अन्नदाता और सरकार के बीच 9 दौर की बातचीत हो चुकी है. लेकिन वो सभी बातचीत बेनतीजा निकली. 15 जनवरी को अब एक बार फिर 10वें दौर की बातचीत होनी है. लेकिन बार बार मिल रही तारीखों से अन्नदाताओं का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. वो अपनी मांग पर अब भी कायम हैं. और इसी के मद्देनजर देश खाप के चौधरी सुरेंद्र सिंह ने चेतावनी दे दी है कि अगर सरकार उनकी मांगे नहीं मानेगी तो वो गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में 1 लाख ट्रैक्टरों को लेकर दाखिल होंगे और परेड करेंगे. आपको बता दें, कि इसे पहले 8 जनवरी को अन्नदाताओं ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी. जिसे उन्होंने 26 जनवरी को निकलने वाली मार्च का पूर्वाभ्यास बताया था. वहीं, खाप के सदस्यों ने ये भी चेतावनी दी कि सरकार और प्रशासनिक अधिकारी इस आंदोलन को हल्के में न लें. अन्नदाताओं को पता चल चुका है कि दिल्ली की कमजोरी पेरिफेरल वे है. अब अन्नदाता इसी को घेरेगा तब सरकार पर दबाव बनेगा. अन्नदाताओं ने कहा कि जब तक तीनों कानून वापस नहीं होते, अन्नदाता की घर वापसी नहीं होगी. और इस पर कृषि मंत्री ने जवाब देते हुए साफ कह दिया है कि कानून तो वापस नहीं होगा, कोई और विकल्प हो तो दीजिए. ऐसे में आने वाले समय में अन्नदाता अब दिल्ली के पेरिफेरल वे को घेरने की योजना बना ही चुका है. इन सब से अब सरकार पर कितना असर पड़ता है ये तो आने वाला समय में पता चलेगा.




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