देवव्रत के इस्तीफे को लेकर राजनीति में उफान
खैरागढ़ के जाने माने वरिष्ट कांग्रेसी एवं एआईसीसी मेंबर देवव्रत सिंह ने कल अपने निवास स्थान विलास पैलेस में एंक पत्रकार वार्ता रखी एवं मीडिया को जानकारी देते हुए

रायपुर। खैरागढ़ के जाने माने वरिष्ट कांग्रेसी एवं एआईसीसी मेंबर देवव्रत सिंह ने कल अपने निवास स्थान विलास पैलेस में एंक पत्रकार वार्ता रखी एवं मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि पार्टी के सभी पदों से उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया है। उनके मुताबिक प्राथमिक सदस्यता से लेकर सभी पदों से इस्तीफा दिया है। वे राष्ट्रीय प्रवक्ता, तीन बार विधायक व एक बार सांसद रह चुके हैं। साथ ही प्रदेश कांग्रेस के विभिन्न पदों में रह चुके हैं। ऐसे में उनका इस्तीफा काफी चौकाने वाला रहा जिसको लेकर कल दिन भर कांग्रेस भवन में चर्चा का विषय रहा। वहीं इस्तीफे के बाद अटकलों का दौर तेज हो चुका है। कई लोग भाजपा व जोगी कांग्रेस में देवव्रत सिंह की जाने की बात कहते दिख रहे हैं। वहीं प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व का कहना है कि देवव्रत सिंह का इस्तीफा प्रदेश कार्यालय आया ही नहीं है तो स्वीकार ने का सवाल ही नहीं उठता वहीं राहुल गांधी के कार्यालय इस्तीफे मेल करें जाने की बात सामने आई है।
प्रदेश के सभी वरिष्ट नेतागण लगातार देवव्रत सिंह से बात कर रहे हैं जो भी बात होगी आपसी सहमति से सुलझा ली जायेगी। साथ ही उनका कहना है कि पार्टी ने आज तक श्री सिंह के साथ कोई भेदभाव नहीं किया है। कभी कोई सम्मान में कमी नहीं की है। वो पार्टी के तीन बार विधायक रह चुके हैं। एक बार सांसद उनकी पत्नी विधायक रह चुकी हैं तथा प्रदेश कांग्रेस के विभिन्न पदों में रह चुके हैं। ऐसे में उनको अनदेखा करने का सवाल ही नहीं उठता। श्री पुनिया की पदयात्रा में भी वो शामिल हुए थे। जबकि देवव्रत सिंह का कहना है कि प्रदेश पदाधिकारियों द्वारा बार बार उनकी अनदेखी की जाती रही है। कई कार्यक्रमों की उन्हें सूचना भी नहीं मिल पाती थी पिछले 4-6 महीने से कांग्रेस के अंदर वो अपने आप को असहज महसूस करने लगे थे। उन्हें ऐसा महसूस हो रहा था कि धीरे-धीरे उन्हें किनारा किया जा रहा है जिसको लेकर उन्होंने सभी पदों से इस्तीफा देना उचित समझा।
देवव्रत के इस्तीफे को लेकर कांग्रेस में राजनीति गरमा गई है तथा हर संभव उनको मना लेने का प्रयास तेज हो गया है। देवव्रत का खैरागढ़ क्षेत्र में पुरानी पकड़ है तथा उनके चले जाने से कांग्रेस को भारी नुकसान की आशंका है। इस विद्रोह का फायदा सीधे जोगी कांग्रेस को मिलने की संभावना है क्योंकि देवव्रत का अजीत जोगी के साथ पुराने अंतरंग संबंध है तथा डॉ. रमन सिंह का भी क्षेत्र खैरागढ़-कवर्धा होने से उनको मात देने के लिए देवव्रत बड़े काम के साबित होंगे। ऐसे में जोगी-कांंग्रेस के भी दिग्गज सदस्य देवव्रत से संपर्क बनाए हुए हैं। देवव्रत बाहर गए हुए हैं उनके आने के बाद ही स्थिति साफ होगी।
वरिष्ट कांग्रेसी सम्मान में कोई कमी नहीं : भूपेश
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल का कहना है कि देवव्रत सिंह वरिष्ट कांग्रेसी व पार्टी के एक महत्वपूर्ण सदस्य है। उनकी मान सम्मान में आज तक कोई कमी नहीं हुई है। प्रदेश कांग्रेस में उनका कद भी कम नहीं हुआ है। साथ ही उनसे बैठकर चर्चा की जायेगी कि ऐसा उनको क्या लगा कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ रहा है। प्रदेश कांग्रेस में कभी उनके सम्मान में कोई कमी नहीं होगी।
कांग्रेस एक परिवार की तरह : सिंहदेव
नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव का कहना था कि कांग्रेस एक परिवार की तरह है परिवार में उच नीच चलते रहता है। इसका हल बैठकर निकाला जाता है। फिलहाल अभी देवव्रत सिंह परिवार के साथ बाहर गए हुए हैं, उनके आने के बाद चर्चा की जायेगी। पार्टी ने आज तक उनके साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं की हैं।


