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बैगा आदिवासियों के मसीहा प्रभुदत्त खेरा का देहांत

दिल्ली विश्वविद्यालय के समाज-शास्त्र के पूर्व प्राध्यापक एवं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता प्रभु दत्त खेरा का आज यहां अपोलो अस्पताल में देहांत हो गया

बैगा आदिवासियों के मसीहा प्रभुदत्त खेरा का देहांत
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बिलासपुर । दिल्ली विश्वविद्यालय के समाज-शास्त्र के पूर्व प्राध्यापक एवं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता प्रभु दत्त खेरा का आज यहां अपोलो अस्पताल में देहांत हो गया।

प्रो. खेरा लंबे समय से बीमार चल रहे थे और गत तीन महीने से अपोलो अस्पताल में भर्ती थे। हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अस्पताल में उनसे भेंट की थी।

प्रो. खेरा दिल्ली विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्ति लेने के बाद पिछले 33 साल से बिलासपुर जिले में अचानक मार अभयारण्य क्षेत्र के लमनी-छपरवा इलाके में अपना ठौर बना लिया था और यहां के आदिवासी बैगाओं की संस्कृति के संरक्षण तथा अधिकारों के लिए काम कर रहे थे। उन्होंने आदिवासी जीवनशैली को आत्मसात कर लिया था और एक कुटिया बना कर आदिवासियों की तरह रह रहे थे। वह इलाके के आदिवासियों के लिए एक मसीहा की तरह थे।

छत्तीसगढ़ सरकार ने बैगा आदिवासी बालक-बालिकाओं को निशुल्क शिक्षा प्रदान करने तथा उनके सामाजिक और आर्थिक उत्थान में प्रो. खेरा को पिछले वर्ष अक्टूबर में महात्मा गांधी स्वरांजलि पुरस्कार से नवाजा था।


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