बच्चों के जन्म के दिन मृत्यु का आंकड़ा कम नहीं हो रहा: संयुक्त राष्ट्र
दुनिया भर में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्युदर में कमी के बावजूद बच्चों के जन्म के दिन मृत्यु का आंकड़ा कम नहीं हो रहा तथा इसे कम करने के लिए और अधिक उपाय किये जाने की जरूरत है

संयुक्त राष्ट्र। दुनिया भर में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्युदर में कमी के बावजूद बच्चों के जन्म के दिन मृत्यु का आंकड़ा कम नहीं हो रहा तथा इसे कम करने के लिए और अधिक उपाय किये जाने की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों की कल जारी रिपोर्ट के मुताबिक पांच वर्ष से कम उम्र में मरने वाले बच्चों की संख्या वर्ष 2000 के लगभग 99 लाख की तुलना में 2016 में अब तक के सबसे निचले स्तर 56 लाख रह गयी है लेकिन इस अवधि के दौरान नवजात शिशुओं की मृत्यु का अनुपात 41 से बढ़कर 46 प्रतिशत यानी 7,000 बच्चे प्रतिदिन हो गया।
ये आंकड़े बाल मृत्यु दर 2017 के स्तर और रुझानों के मुताबिक है, जिसे बाल-मृत्यु आकलन (आईजीएमई) के लिए अंतर एजेंसी समूह ने जारी किया है। इस समूह में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ़), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), विश्व बैंक और आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र विभाग में जनसंख्या प्रभाग शामिल है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ)के स्वास्थ्य प्रमुख स्टीफन स्वार्टलिंग पीटरसन ने एक संयुक्त प्रेस वक्तव्य में कहा, “वर्ष 2000 से पांच वर्ष से कम उम्र के पांच लाख बच्चों की जान बचा ली गयी है जिससे बाल मृत्यु दर कम करने की सरकारों और विकास भागीदारों की गंभीर प्रतिबद्धता का पता चलता है।
” उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि बच्चों की जन्म के दिन मौत को रोकने के लिए अधिक प्रयास किए बिना यह प्रगति अधूरी रहेगी।
जीवन-रक्षा के तरीके और प्रौद्योगिकियां आसानी से उपलब्ध करायी जानी चाहिए, विशेष रूप से दक्षिणी एशिया और उप सहारा अफ्रीका में जहां उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है। वर्तमान रुझान बताते हैं कि 2017 से 2030 के बीच जन्म के 28 दिन के भीतर मरने वाले नवजातों की संख्या तीन करोड़ हो जाएगी।
एजेंसियों का कहना है कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए और सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अधिक से अधिक नवजात शिशु जीवित रहें, इसके लिए हाशिये पर मौजूद परिवारों की सहायता भी जरूरी है। डब्ल्यूएचओ के सहायक निदेशक (महिला एवं बाल स्वास्थ्य) ने कहा, “बीमारी को रोकने के लिए, परिवारों को वित्तीय शक्ति की आवश्यकता होती है, उनकी आवाजें सुने जाने और गुणवत्तापूर्ण देखभाल की जरूरत होती है। प्रसव के दौरान और बाद में सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार और समय पर देखभाल को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।


