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जानलेवा पनीर खुले आम बिक रहा है, खाद्य विभाग व प्रशासन सो रहा है

जागो ग्राहकों जागो, ग्राहक तू रहेगा मौन तो तेरी सुनेगा कौन । शहर मे बिक रहे दूषित पनीर से आप खुद बचें क्यूंकि खाद्य विभाग व प्रशासन सो रहा है

जानलेवा पनीर खुले आम बिक रहा है, खाद्य विभाग व प्रशासन सो रहा है
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ग्वालियर: इस समय शहर में पनीर खाने से हुई फूड पॉइजनिंग का मामला लगातार तूल पकड़ा हुआ है। देश की सर्वेश्रेष्ट संस्थान में शुमार LNIPE ( लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन) में फूड फूड पॉइजनिंग के चलते करीब 150 से ज्यादा बच्चों की हालत गंभीर हो गयी थी। जिसमें से 7 को आईसीयू ओर एक को वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ा था। फूड पॉइजनिंग के इस मामले ने लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन में दिए जाने वाले भोजन के स्तर पर सवाल खड़े किए थे।

अब सवाल य़ह उठता है कि आप जो पनीर कहा रहे हैं क्या वह सुरक्षित है? क्या वह आपके और आपके बचों के लिए जानलेवा तो नहीं है? जब इतने प्रतिष्ठित संस्थान में सड़ा घटिया पनीर पहुँच सकता है तो सोचिए आप तक जो पनीर पहुँच रहा है वह किस स्तर का होगा ? वही तो मामला देश के बड़े संस्थान से जुड़ा है तो खबर आग की तरह फैल गई । कोई छोटे स्कूल या संस्था की घटना होती तो शायद पता तक नहीं चलती। हो सकता है कि कुछ आम लोग औसत घटिया पनीर कहा कर बीमार हो जाते हों, लेकिन वह घटना खबर न बनें।
शहर में एक बड़ा बाजार है दही मंडी। आप वहाँ से निकल कर देखिए । इतनी गंदी बदबू आएगी कि आप खड़े न हो सकें। ऐसे ही नए सराफा के पिछले भी कुछ दुकानों पर पनीर स्टोर रहता है। यहीं से पूरे शहर मे पनीर सप्लाय होता है। य़ह पनीर खुला बिकता है इसलिए उसकी निर्माण तिथि का कुछ पता नहीं होता । मतलब आज बना पनीर जब तक किसी ग्राहक के हाथ न पहुँच जाए तब तक सड़ता हुआ पड़ा रहता है।
अब बात करते हैं हमारे सुस्त राम जी की मतलब हमारे खाद्य सुरक्षा विभाग की। य़ह विभाग करता क्या है। और इसे क्या करना चाहिए इन दोनों बातों में कोई वास्ता नहीं है। य़ह विभाग केवल त्योहारों पर जागता है और कुछ खोवा और मिठाई की दुकानों पर कार्यवाही करता नजर आता है । कार्यवाही भी इतनी बड़ी खानापूर्ति होती है कि इनकी कार्यवाही के बावजूद शहर मे दूषित घटिया मिठाई धड़ल्ले से बनतीं भी हैं और बिकती भी हैं। इस विभाग का मिलावट खोरी व दूषित खाद्य पदार्थ बेचने वालों पर कलि अंकुश नहीं है। अब य़ह कार्यवाही की खानापूर्ति किस स्वार्थ से करते हैं। वह ये ही बेहतर बता सकते हैं?
लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन में 150 छात्र बीमार हुए । कारण था घटिया पनीर। अभी तक किसी तरह की कोई बड़ी कार्यवाही सामने नहीं आई है। खबर है कि य़ह संस्थान भी जैसे तैसे मामले को रफा-दफा करना चाहता है। मुख्यमंत्री कह्ते हैं हमारे यहां की सड़क अमेरिका जैसी हैं तो फिर हमारा कानून अमेरिका जैसा सख्त क्यूँ नहीं ? यहा इतने खाद्य अपमिश्रण के मामले आने के बाद भी प्रशासन सोया क्यूँ रहता है? क्या कोई आंकड़ा है कि प्रतिदिन कितने लोग घटिया पनीर खाकर बीमार हो रहे हैं? क्या इस पर अंकुश लगाने का कोई प्लान प्रशासन व खाद्य सुरक्षा विभाग पर है? कहीं ऐसा तो नहीं कि जब तक आम आदमी मरे तो मरने दो, जिस दिन किसी मंत्री जी के कुत्ते की मौत अपमिश्रण दूषित पनीर से होगी तब देखेंगे । अभी तो बस सख्त कार्यवाही के आश्वासन का झुनझुना बजाते हैं। और अगले ही ऐसे किसी हादसे का इंतजार करते हैं!


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